राजस्थान के बांसवाड़ा में 125 साल पुराना चर्च बना भैरव मंदिर, पादरी बने पुजारी – 200 लोगों की ‘घर वापसी’

जयपुर: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के सुडलादूधा गांव में ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। यहां 125 साल पुराने चर्च को भैरव मंदिर में बदल दिया गया और चर्च के पादरी गौतम गरासिया अब मंदिर के पुजारी बन गए। इस धार्मिक परिवर्तन के साथ गांव के करीब 200 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया।

125 साल पुराने चर्च से भैरव मंदिर तक का सफर

बांसवाड़ा के सुडलादूधा गांव में 125 साल पहले एक चर्च बनाया गया था। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों का प्रभाव बढ़ा और गांव के कई लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया। लेकिन अब, सनातन संस्कृति की ओर पुनः झुकाव के चलते, गांववालों ने चर्च को मंदिर में बदलने का फैसला किया। रविवार, 9 मार्च 2025 को भव्य कार्यक्रम के तहत इस चर्च को आधिकारिक रूप से भैरव मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया गया। इस दौरान मंदिर में हवन, पूजन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। अब यहां भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना शुरू हो गई है।

पादरी से पुजारी बने गौतम गरासिया

गौतम गरासिया, जो पहले चर्च के पादरी थे, अब इस मंदिर के मुख्य पुजारी बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि सालों पहले गांव के लोग ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में आकर धर्म परिवर्तन कर चुके थे। लेकिन अब, सनातन संस्कृति और हाल ही में प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ 2025 के संदेश से प्रभावित होकर गांव के लोगों ने हिंदू धर्म में वापसी करने का निर्णय लिया। गौतम गरासिया ने कहा, “हम सनातन धर्म की ओर लौट आए हैं। वर्षों पहले ईसाई बने लोग अब फिर से अपने मूल धर्म में वापस आ रहे हैं।

भैरव मंदिर हमारी आस्था का नया केंद्र होगा।” चर्च को मंदिर में बदलने के साथ-साथ इसकी दीवारों का रंग भी बदला गया और मंदिर के स्वरूप में बदलाव किया गया। ग्रामीणों ने मिलकर मूर्ति स्थापना, मंदिर की सफाई और नए सिरे से सजावट का काम किया। रविवार को हुए इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। धार्मिक अनुष्ठान के बाद गांव के करीब 200 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म स्वीकार किया और ‘घर वापसी’ की।

आसपास के गांवों में भी होगी ‘घर वापसी’ की मुहिम

स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों का कहना है कि आसपास के गांवों में भी कई भोले-भाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर ईसाई बनाया गया। अब उन्हें भी सनातन संस्कृति की ओर वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। “हम चाहते हैं कि जो लोग पहले सनातन धर्म में थे और किसी कारणवश ईसाई बन गए, वे अपनी जड़ों की ओर लौटें। यह एक सामाजिक जागृति है, और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।” बांसवाड़ा की यह घटना पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में अन्य गांवों में भी इसी तरह की ‘घर वापसी’ होती है या नहीं। फिलहाल, सुडलादूधा गांव में भैरव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए नया आस्था केंद्र बन चुका है।

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