नई दिल्ली: दिल्ली के वसंतकुंज स्थित रंगपुरी इलाके में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसमें 46 वर्षीय हीरालाल शर्मा ने अपनी चार बेटियों के साथ जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। यह घटना फ्लैट नंबर C-4, रंगपुरी की है, जहां से तेज दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने केयरटेकर को जानकारी दी। इसके बाद मकान मालिक और पुलिस को सूचना दी गई। जब पुलिस ने फ्लैट का दरवाजा खोला, तो अंदर का दृश्य बेहद दर्दनाक था। फ्लैट से पांच लाशें बरामद हुईं—हीरालाल और उनकी चार बेटियों की। पुलिस को मौके से सल्फास के तीन पैकेट मिले, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरा परिवार एक साथ जहर खाकर मौत के मुंह में चला गया।
फ्लैट से पांच सड़ी लाशें बरामद
घटना का खुलासा तब हुआ जब फ्लैट से उठ रही दुर्गंध की शिकायत पड़ोसियों ने की। इसके बाद केयरटेकर और मकान मालिक ने पुलिस को बुलाया। पुलिस जब फ्लैट का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई, तो वहां पांच सड़ी हुई लाशें पड़ी थीं। एक कमरे में 46 साल के हीरालाल शर्मा की लाश मिली, जबकि दूसरे कमरे में उनकी चार बेटियां नीतू (26), निक्की (24), नीरू (23), और निधि (20) एक ही बेड पर लाइन से रखी हुई थीं। शवों की हालत देखकर पता चला कि ये कई दिन पहले मर चुके थे। इस घटना से पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया।
मिठाई और पूजा के बाद मौत: आखिरी दिनों में परिवार ने मनाया था एक खास दिन
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि 24 सितंबर को हीरालाल घर जाते हुए एक CCTV फुटेज में दिखे थे। उस फुटेज में वे हाथ में मिठाई और फूल लेकर घर की ओर बढ़ रहे थे। पुलिस को घर से मिठाई और पूजा के संकेत भी मिले हैं। बेटियों के गले और हाथों में नया कलावा बंधा हुआ था, जो यह इशारा करता है कि हीरालाल ने सामूहिक आत्महत्या से पहले पूजा की थी। पुलिस का मानना है कि हीरालाल ने बेटियों को जहर खिलाने के बाद उनकी लाशें बिस्तर पर रखीं और फिर खुद दूसरे कमरे में जाकर जहर खा लिया।
पत्नी की मौत के बाद हीरालाल हुए डिप्रेशन का शिकार, आर्थिक संकट ने छीनी ज़िंदगी
इस सामूहिक आत्महत्या के पीछे की बड़ी वजह हीरालाल की खराब आर्थिक स्थिति और मानसिक तनाव माना जा रहा है। अगस्त 2023 में हीरालाल की पत्नी कांतिदेवी की कैंसर से मौत हो गई थी, जिससे हीरालाल गहरे डिप्रेशन में चले गए थे। उनकी आर्थिक स्थिति भी लगातार बिगड़ती जा रही थी। दिसंबर 2023 में उन्होंने इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर, वसंत कुंज में अपनी नौकरी छोड़ दी थी, जहां वे 38 हजार रुपए महीना कमाते थे। बिना नौकरी के 9 महीने गुजर चुके थे, और उनके बैंक खाते में केवल 200 रुपए बचे थे। हीरालाल को अपने परिवार की देखभाल में भी कठिनाई हो रही थी। पड़ोसियों के अनुसार, पत्नी की मौत के बाद से हीरालाल बिल्कुल गुमसुम रहने लगे थे। किसी से बातचीत नहीं करते थे, और न ही कोई रिश्तेदार या दोस्त उनसे मिलने आता था। घर में राशन भी लगभग खत्म हो चुका था, और पुलिस जांच में पता चला कि परिवार चिप्स और अन्य हल्की चीजें खा रहा था।
विकलांग बेटियों की देखभाल थी चुनौती: अस्पतालों के चक्कर ने और बढ़ाया तनाव
हीरालाल की पारिवारिक स्थिति भी बेहद कठिन थी। उनकी दो बेटियां शारीरिक रूप से विकलांग थीं। तीसरी बेटी नीरू की आंखों की रोशनी चली गई थी, जबकि छोटी बेटी निधि विकलांग थी। हीरालाल अपनी विकलांग बेटियों के इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाते रहते थे। उनकी देखभाल में हो रहे खर्च और मानसिक दबाव ने हीरालाल को पूरी तरह तोड़ दिया था। पड़ोसियों ने बताया कि हीरालाल बेटियों को अस्पताल ले जाने के लिए गोद में उठाकर ले जाते थे, लेकिन वे कभी किसी से मदद की उम्मीद नहीं रखते थे। इस हालत में भी वे किसी से मदद मांगने की बजाय अपने दुखों को खुद ही झेल रहे थे।
सामूहिक आत्महत्या की पुष्टि: जहर ही बना मौत का कारण, जांच जारी
पुलिस ने इस घटना को सामूहिक आत्महत्या माना है, क्योंकि मौके से सल्फास के तीन पैकेट बरामद हुए हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि हीरालाल और उनकी चारों बेटियों की मौत जहर से हुई थी। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हीरालाल ने सल्फास कहां से खरीदा और क्या यह आत्महत्या पहले से प्लान की गई थी या फिर अचानक लिया गया फैसला था। इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक साधारण परिवार, जो आर्थिक और मानसिक संघर्षों से जूझ रहा था, इस हद तक टूट गया कि उन्होंने अपनी ही जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया। पुलिस और जांच अधिकारी अब इस मामले की हर पहलू से जांच कर रहे हैं, ताकि इस दर्दनाक घटना के पीछे की सच्चाई सामने आ सके।