मोहन भागवत के बयान पर मचा बवाल, RSS चीफ को साधु संतों की दो टूक, कहा धर्म के ठेकेदार मत बनिए

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर और मंदिर-मस्जिद विवाद पर दिए बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। भागवत के बयान से नाराजगी जताते हुए प्रमुख धार्मिक गुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विवाद ने धर्म और राजनीति के बीच संतुलन को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्वामी रामभद्राचार्य: “संघ प्रमुख हमारे संचालक नहीं”

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है। उन्होंने स्पष्ट किया, “संघ और धर्माचार्य का क्षेत्र अलग-अलग है। वे संघ के सरसंघचालक हैं, हमारे नहीं।”

रामभद्राचार्य ने हिंदुत्व और मंदिर निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “जहां मंदिरों के अवशेष मिलते हैं, उन्हें हमें लेना चाहिए। जहां अवशेष नहीं हैं, वहां ऐसा करना उचित नहीं।” इसके अलावा, उन्होंने सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा, “एक यहूदी की हत्या पर इजराइल प्रतिक्रिया देता है, लेकिन हमारे हजारों हिंदुओं की हत्या पर सरकार कुछ नहीं करती। बांग्लादेश से कठोरता से निपटना चाहिए।”

“राजनीतिक बयानबाजी नहीं चलेगी”

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी संघ प्रमुख के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान राजनीतिक सुविधा के अनुसार दिया गया है। उन्होंने कहा, “जब सत्ता हासिल करनी थी, तब मंदिर-मंदिर का मुद्दा उठाया गया। अब जब सत्ता मिल गई है, तो मंदिरों के पुनरुद्धार पर रोक लगाने की नसीहत दी जा रही है।” शंकराचार्य ने अतीत में हिंदू धर्मस्थलों पर हुए अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे ध्वस्त मंदिरों की सूची बनानी चाहिए और उनके पुनर्निर्माण का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इन स्थलों का सर्वेक्षण कराने की भी मांग की।

धर्म के मुद्दों पर संतों का फैसला जरूरी”

अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि धर्म से जुड़े फैसले संतों द्वारा लिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “जब भी धर्म का मुद्दा उठता है, धार्मिक गुरुओं को फैसला लेना चाहिए। संघ और विहिप को ऐसे फैसलों का सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने बताया कि अब तक 56 नए स्थलों पर मंदिर संरचनाओं की पहचान की जा चुकी है। यह दिखाता है कि धर्म और आस्था से जुड़े मुद्दे अभी भी लोगों के बीच महत्वपूर्ण हैं।

संभल में मंदिरों और विवाद

संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच प्रशासन ने 68 प्राचीन तीर्थस्थलों और 19 कुओं की खोज शुरू की है।
राज्य पुरातत्व विभाग ने 4 दिनों में 19 कुओं की पहचान कर ली है, जबकि 68 तीर्थस्थलों की खोज का काम अभी जारी है।
350 साल पुरानी किताब में इन तीर्थस्थलों और हरि मंदिर का उल्लेख मिलता है। प्रशासन इन स्थलों को पुनः खोजने और संरक्षित करने के प्रयास में जुटा है।

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