बांग्लादेश में हिंदू साधु की गिरफ्तारी से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

ढाका: बांग्लादेश के ढाका एयरपोर्ट पर हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी ने भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। साधु पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है, और उन्हें चटगांव जाते समय पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद भारत ने इस मुद्दे को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और बांग्लादेश से हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। वहीं, बांग्लादेश ने इसे अपना “आंतरिक मामला” बताते हुए भारत के बयान को अस्वीकार कर दिया।

बांग्लादेश में साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी

सोमवार को बांग्लादेश पुलिस ने ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार कर लिया। वह चटगांव जा रहे थे। उन पर 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदिघी मैदान में आयोजित एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। इस रैली में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों की मांग की गई थी। 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली थाने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। आरोपों के अनुसार, साधु ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जो देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के खिलाफ माना गया। पुलिस ने इन आरोपों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया। कोर्ट ने साधु की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया।

भारत का सख्त रुख: हिंदुओं की सुरक्षा की मांग

भारत ने इस गिरफ्तारी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “हमने गहरी चिंता के साथ इस मामले को देखा है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।” मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं, उनके घरों और व्यवसायों को लूटा और जलाया जा रहा है, लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। भारत ने इस बात पर भी चिंता जताई कि साधु चिन्मय कृष्ण दास ने शांतिपूर्ण तरीके से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग उठाई, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से अपील की कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों, उनकी सुरक्षा, और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करे।

बांग्लादेश का जवाब: भारत के बयान पर नाराजगी

बांग्लादेश ने भारत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ढाका के विदेश मंत्रालय ने इसे “तथ्यों से परे” बताते हुए कहा कि “यह मामला हमारी न्यायिक प्रक्रिया के तहत है और इसे गलत तरीके से पेश किया गया है।” बांग्लादेश ने कहा कि यह बयान दोनों देशों के बीच मित्रता और समझदारी की भावना के खिलाफ है। बांग्लादेश ने आगे कहा कि देश में हर धर्म के लोगों को समान अधिकार प्राप्त हैं। सरकार हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। “यह मामला अदालत के अधीन है, और सरकार कानून के दायरे में रहकर सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है।”

कोर्ट की कार्रवाई और समर्थकों का विरोध प्रदर्शन

चिन्मय कृष्ण दास को मंगलवार को चटगांव की अदालत में पेश किया गया। सिक्स्थ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि साधु को जेल में रखा जाए और जेल प्रशासन सुनिश्चित करे कि उन्हें धार्मिक अनुष्ठान करने की पूरी छूट दी जाए। अदालत के बाहर साधु के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक नारे लगाते हुए साधु की गिरफ्तारी का विरोध किया। पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। साधु चिन्मय कृष्ण दास ने जेल वैन से अपने समर्थकों को शांत रहने की अपील की। उन्होंने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखेंगे। हमारा उद्देश्य सरकार या देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी है।”

क्या भारत-बांग्लादेश संबंधों में आएगा तनाव?

यह घटना भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक नया विवाद पैदा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भी बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से गहरे संबंध रहे हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि दोनों देशों की सरकारें इस तनाव को कम करने के लिए क्या कदम उठाती हैं और इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाएगा।

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