नई दिल्ली: शनिवार को संसद में लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद हुए बदलाव के बारे में सदन को बताया।
दरअसल लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर गृहमंत्री शाह ने बताया कि 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को जिनके पास राहत कार्ड है, उन्हें 13,000 रुपये प्रति महीने सरकार देती है। निशुल्क राशन देते हैं। ये हमारे समय में विस्थापित नहीं हुए। कांग्रेस इन्हें सुरक्षा नहीं दे पाई, इसलिए ये विस्थापित हुए।
कश्मीरी पंडितों के लिए रोजगार व घर वापसी के बारे में गृहमंत्री ने कहा कि 3000 नौकरियां दे दी गईं हैं। 6,000 लोगों को कश्मीर घाटी में 2022 तक घर देकर हम बसा देंगे।
कश्मीरी पंडितों के बच्चों के लिए शिक्षा संस्थाओं में बढ़ेगी 5% सीटें बढ़ाने का किया था ऐलान:
गौरतलब है कि इसके पहले केंद्र की मोदी सरकार ने अब कश्मीरी पंडितों के लिए पढ़ाई में रियायतों का बड़ा फैसला किया था। दरअसल अक्टूबर 2020 के एक परिपत्र के मुताबिक विस्थापित कश्मीरी पंडित, कश्मीर में रह रहे पंडित और हिदू समुदाय के बच्चों को देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले में छूट मिलेगी।
परिपत्र के मुताबिक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के आधार पर कट ऑफ में 10% की छूट मिलेगी। इसके अलावा प्रत्येक पाठयक्रम में संबंधित संस्थान में सीटों की कुल संख्या में 5% की वृद्धि भी रहेगी। प्रत्येक तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा संस्थान में मेरिट सूची में एक सीट विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय, कश्मीर से पलायन न करने वाले कश्मीरी पंडित और हिदू समुदाय के बच्चों के लिए आरक्षित रहेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के बाद अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने एलान किया है।
एआइसीटीई के अकादमिक एवं योजना ब्यूरो के सलाहकार-1 प्रो दिलीप मालखेडे की ओर से जारी सर्कुलर में कहा है कि विस्थापित पंडित समुदाय, कश्मीर से पलायन न करने वाले पंडितों और हिदू समुदाय के बच्चों के लिए 2020-21 के लिए देश के विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए विभिन्न प्रावधान किए हैं।
एआइसीटीई की रियायतों का लाभ लेने के लिए विस्थापित पंडित समुदाय के किसी भी विद्यार्थी को डोमिसाइल प्रमाणपत्र पेश करने की जरूरत नहीं है। कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों व हिदू समुदाय के छात्रों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र पेश करना होगा।