नई दिल्ली: भारतीय गणतंत्र 70 साल का हो गया है। हमारे संविधान का निर्माण का श्रेय केवल डॉ आंबेडकर को दिया जाता है। लेकिन कुछ लोग जो वास्तव में उस संविधान का श्रेय दिए जाने के अधिकारी है, भारतीय समाज ने उन्हें भुला दिया। उनमें से एक नाम सर बी एन राऊ का है।
यदि आप इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं तो सर बी एन राव के बारे में जानते होंगे लेकिन अधिकांश भारतीय लोगों के लिए यह अपरिचित नाम है।
आज हम आपको उस महान हस्ती बेनेगल नरसिंह राव (बी एन राव) के बारे में जानकारी देंगे। हम उस महान हस्ती ने हमारे लिए जो भी किया उसका कर्ज तो नहीं छोड़ सकते लेकिन यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनका सम्मान करें, उन्हें याद करें। वो अपने समय के काबिल सिविल सर्वेंट्स में से एक थे जिन्होंने डॉक्टर अंबेडकर के साथ संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉक्टर अंबेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे वही सर बी एन राव संविधान सभा के सलाहकार थे। भीमराव ने भारतीय संविधान के साथ बर्मा (म्यांमार) का भी संविधान तैयार किया था।
बी एन का जन्म कर्नाटक के मशहूर डॉक्टर राघवेंद्र राऊ के शिक्षित ब्राह्मण परिवार में हुआ। 1909 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की। इसके अलावा वे जम्मू कश्मीर राजशाही के प्रधानमंत्री भी रहे।
25 नवंबर 1949 को जब डॉ आंबेडकर संविधान सभा को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने संविधान निर्माण का श्रेय एस एन मुखर्जी और बी एन राव को दिया। अंबेडकर बी एन राव के इतने बड़े प्रशंसक थे कि उन्होंने राऊ को सर कहकर संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण का श्रेय केवल मुझे ही दिया जाता है लेकिन इस सम्मान के असली हकदार बी एन राव है। संविधान सभा की सलाहकार भीमराव ने विभिन्न देशों के संविधान का अध्ययन कर भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जिसमें मूल अधिकार नीति निर्देशक तत्व जैसे अहम मसौदा शामिल थे। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाया गया है सरवन रावत समिति के भी अध्यक्ष रहे थे।
यहां तक कि बी एन राव अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की भी अध्यक्ष रहे। भारतीय संविधान का पहला ड्राफ्ट भी राव ने ही तैयार किया। संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने अपने धन्यवाद भाषण में चार बार राऊ का नाम लिखकर उनका धन्यवाद किया। लेकिन यह भारत का दुर्भाग्य है कि जिस व्यक्ति ने भारतीय लोगों को आज संवैधानिक अधिकार दिए भारतीय समाज ने उनको ही भुला दिया।
आए दिन संविधान की रक्षा की दुहाई देने वाले राजनेता सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके जन्मदिवस पर भी उन्हें याद नहीं किया। जहां एक परिवार की तीन तीन पीढ़ियों को भारत रत्न दिया जाता है, वहां भारत माता के वीर सपूत और भारत रत्न के वास्तविक हकदार बीएन राव के नाम पर किसी सड़क का भी नाम नहीं है ना ही उनके नाम की मूर्ति दिखाई देती है।
यह कैसी विडंबना है कि विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा भारतीय युवा अपने इतिहास और इतिहास के उन वीरों को भुला चुका है बल्कि जिन लोगों ने भारत की आजादी का विरोध किया उनको नायक मान बैठा है।