सुल्तानपुर(उत्तर प्रदेश): जिले के लंभुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को भर्ती करने के एवज पैसे की मांग करने व पूरा पैसा न जमा कर पाने पर मरीज के परिजनों पर एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने का मामला संज्ञान में आया है।
लंभुआ थानांतर्गत आने वाले गांव धारपुर निवासी अमित सिंह व मोनू सिंह के चाचा सुरेंद्र सिंह को पिछले महीने कोरोना हुआ था। जिला अस्पताल से इलाज करा लौटे सुरेंद्र सिंह की तबियत 26 मई की रात अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद अमित व मोनू अपने चाचा सुरेंद्र सिंह को लेकर रात लगभग 10 बजे लंभुवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। जहां रात्रि में मौजूद फार्मासिस्ट कमल विद्यार्थी ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर न होने का बहाना बना भर्ती करने से मना कर दिया। जब दोनो युवकों ने कमल से अनुनय विनय की तो वह 10 हजार रूपये की मांग करने लगा। दोनो युवकों ने तत्काल 5 हजार रूपए जमा करा चाचा को भर्ती कराया।
दोनो युवकों के पास उस समय मौजूद 10 हजार में से 5 हजार रुपए ही मिलने पर फार्मासिस्ट अगली सुबह नाराज हो गया। कमल ने मरीज के परिजनों को बोला कि “5000 दो वर्ना यह मर जायेगा”। जब मरीज के साथ मौजूद दोनो युवकों ने कहा कि ऐसे मत बोलो आपका 5 हजार भी थोड़ी देर में जुगाड़ कर देंगे। इसी बात पर फार्मासिस्ट कमल विद्यार्थी आगबबुला हो गया और दोनो युवकों से करने लगा।
हाथापाई के बाद फार्मासिस्ट ने मरीज को ज़बरदस्ती किया डिस्चार्ज, मरीज ने तोड़ा दम
युवकों के साथ हाथापाई करने के पश्चात 27 मई की सुबह लगभग 11:30 बजे मरीज को जबर्दस्ती डिस्चार्ज करा दिया गया। जिसके बाद मज़बूरी में दोनो युवक मरीज को पास के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए जहां अगले दिन 28 मई की सुबह मरीज ने दम तोड़ दिया।
नही करता डिस्चार्ज तो बच सकती थी जान, उलटा पीड़ित परिजनों पर लगाया एससी एसटी एक्ट
परिजनों के अनुसार पैसे न मिलने की वजह से फार्मासिस्ट अगर मरीज को डिस्चार्ज नही करता तो मरीज की जान बच सकती थी। वहीं फार्मासिस्ट द्वारा दोनो युवकों को कोविड नियम का पालन न करने व अस्पताल में हंगामा करने के झूठे आरोप में एससी एसटी एक्ट का झूठा केस दर्ज करा दिया गया। मरीज की मौत व एससी एसटी एक्ट के मुक़दमे के कारण परिवार पर समस्याओं की दोहरी मार पड़ रही है।
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