नई दिल्ली: मीराबाई चानू ने आज टोक्यो ओलंपिक खेलों के दूसरे ही दिन वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीतकर 21 साल का पदकों का सूखा खत्म कर दिया।
ओलंपिक पदक तक का सफर मीराबाई के लिए कतई आसान नहीं रहा और जी उन्होंने जीवन में संघर्ष करते हुए यहां तक का सफर तय किया है। जीवन के शुरुआती दिनों में लकड़ी बीनने वाली मीराबाई चानू ने रजत पदक जीतने के बाद अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच विजय शर्मा को देते हुए उन्हें धन्यवाद भी अर्पित किया।
वहीं कोच विजय शर्मा मीराबाई के जीतने को लेकर पूरी तरह निश्चिंत थे। उन्होंने कहा “वह (मीराबाई) तैयार है और हम निश्चित रूप से पदक जीत रहे हैं”।
2017 के रियो ओलंपिक खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अभी रजत पदक जीतने तक के मीराबाई के ऐसे ट्रांसफॉरमेशन में कोच विजय शर्मा की मेहनत साफ नजर आती है। कोच विजय शर्मा ने मीराबाई की सफलता की यात्रा में उनकी नैतिकता और अनुशासन को भी महत्वपूर्ण बताया।
शर्मा ने कहा “रियो ओलंपिक ने झटके ने हमें यहां ला दिया। कोच की मेडल जीतने में अहम भूमिका होती है लेकिन यदि खिलाड़ी अनुशासित नहीं है तो कोच कुछ नहीं कर सकता। मैं कहूंगा कि इस प्रदर्शन में मीराबाई चानू की बड़ी भूमिका है, वह खेलों के प्रति समर्पित रही है यही वजह है कि वह सिल्वर जीतने में कामयाब रही है।”
2000 के सिडनी खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली कर्णम मल्लेश्वरी के बाद मीराबाई चानू भारोत्तोलन में पदक जीतने वाली भारत की अब मात्र दूसरी महिला बन गई है। पदक जीतने के बाद मीराबाई ने कोच से कहा कि ओलंपिक में पदक जीतने का हमारा सपना पूरा कर लिया है।
टोक्यो ओलंपिक में सफलता के बाद अब मीराबाई के कोच विजय शर्मा को भी उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए इंडियन ओलंपिक महासंघ द्वारा ₹1000000 दिए जाएंगे।
आईओए महासचिव राजीव मेहता ने कहा कि हमें खिलाड़ियों को विजेता बनाने वाले उनके कोच का भी सम्मान करना चाहिए क्योंकि तक खिलाड़ियों की तरह की कड़ी मेहनत करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। और खिलाड़ियों कि सफलता में उनके कोच का जो महत्पूर्ण योगदान होता है, उसी को सम्मानित करने के लिए ओलंपिक संघ द्वारा मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों के कोचो को इनाम स्वरूप राशि दी जाएगी।