उत्तर प्रदेश में 23% से अधिक वोट रखने वाले सामान्य वर्ग के मतदाताओं के समर्थन के लिए सभी राजनीतिक दल दांव लगा रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों को ऐसा लग रहा है कि आने वाले चुनाव में ब्राह्मण मतदाता उनका समर्थन कर सकते हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने दावा किया कि “उच्च जातियों” के लोग पिछली बार हुए प्रदेश में चुनावों में भाजपा को वोट देने के लिए पछता रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो इन लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी।
अपने अतीत की धुंधली छाया में सिमट कर, बसपा अपने पुराने समीकरण को पुनर्जीवित कर यूपी में प्रासंगिक बने रहने के लिए एक आखिरी प्रयास कर रही है, लेकिन राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह ब्राह्मण असंतोष का दोहन करने के लिए एक सुविचारित रणनीति है।
इसलिए यहां हमने तीनों दलों के शासन के दौरान उत्तीर्ण उच्च जाति के छात्रों की संख्या का पता लगाया है। यूपीपीएससी परीक्षा में 2007 से 2020 तक चुने गए सामान्य वर्ग के छात्रों पर हमारी टीम ने डेटा एकत्र किया है।
बसपा का हाल सबसे बुरा, भाजपा संतोषजनक
पिछले 14 वर्षों में, उच्च जाति के उम्मीदवारों ने चयन के मामले में उतार-चढाव देखा है। 2007 में सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए रिक्तियों की कुल संख्या 382 थी, लेकिन सामान्य श्रेणी से केवल 62 उम्मीदवारों का चयन किया गया था।
वर्ष 2009 में संख्या में वृद्धि देखी गई और लगभग 33 प्रतिशत सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को खुली श्रेणी की सीटों में चुना गया।
2010 में, बसपा सरकार ने सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए रिक्तियों में वृद्धि की लेकिन खुली सीटों में केवल 14 प्रतिशत का चयन किया गया था। खुली श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कुल 550 रिक्तियां घोषित की गईं और सामान्य वर्ग से केवल 81 उम्मीदवारों का चयन किया गया।
Year | Total General Vacancies | General Selected | % of Generals |
2007 | 382 | 62 | 16 |
2008 | NA | NA | NA |
2009 | 513 | 172 | 33.52 |
2010 | 550 | 81 | 14.72 |
2011 | 511 | 93 | 18 |
2012 | 550 | 76 | 13.8 |
2013 | NA | NA | NA |
2014 | NA | NA | NA |
2015 | NA | NA | NA |
2016 | 610 | 158 | 25.9 |
2017 | 543 | 182 | 33 |
2018 | 414 | 252 | 60 |
2019 | 397 | 119 | 29.9 |
2020 | 182 | 138 | 75 |
भाजपा शासन: अवसर घटे किन्तु चयन में वृद्धि हुई
उत्तर प्रदेश में 2017 में बीजेपी की सरकार आई, और सवर्ण उम्मीदवारों का भी स्वर्ण युग आ गया। पिछले चार वर्षों में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के चयन में वृद्धि देखी गई है। उनके चयन का औसत प्रतिशत बसपा सरकार की तुलना में 19% से बढ़कर 56% हो गया है। पिछले साल, लगभग 75 प्रतिशत सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का चयन खुली श्रेणी की सीटों पर हुआ था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस सरकार ने योग्यता और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है जिसके कारण उच्च जाति के उम्मीदवारों ने सभी सरकारी परीक्षाओं में सीटें हासिल की हैं।
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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.