नई दिल्ली: सरकार ने संसद में कहा है कि सिर पर मैला ढोने वालों के लिए व्यवसायिक आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।
राज्यसभा में सांसद डॉ. विकास महात्मे द्वारा पूछे गए सवाल “क्या सरकार ने सिर पर मैला ढोने के मामले में धर्म और जाति आधारित कारक के निर्धारण पर कोई अध्ययन किया है ?” के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि ऐसा कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं किया गया है।
“तथापि, मैनुअल स्केवेंजरों की पहचान करने के लिए एमएस अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार सर्वेक्षण किए गए हैं। इन सर्वेक्षणों के दौरान उपर्युक्त अधिनियम के तहत विहित मानदण्ड के अनुसार 58098 मैनुअल स्केवेंजरों की पहचान की गई है।”
मंत्री के मुताबिक पहचानशुदा मैनुअल स्कैवेंजरों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार 43797 मैनुअल स्केवेंजरों के जाति से संबंधित आंकड़ें उपलब्ध हैं।
मैनुअल स्कैवेंजरों की श्रेणीवार संख्या के रूप में अनुसूचित जातियां- 42,594, अनुसूचित जनजातियां- 421, अन्य पिछड़े वर्ग-431 व अन्य- 351 हैं।
सिर पर मैला ढोने वालों के लिए आरक्षण के सवाल पर मंत्री ने कहा कि उनके पुनर्वास के लिए शैक्षिक तथा व्यवसायिक आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।