जालौर. राजस्थान के जालौर में हुई 9 वर्षीय दलित छात्र की मौत को जबरन जातिगत रूप देते हुए यह खबर फैलाई जा रही है कि स्कूल में पानी के घडे़ को छूने पर स्कूल में कार्यरत शिक्षक छैल सिंह ने उसकी पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
वायरल आडियो में हुआ खुलासा
वहीं आरोपी बनाये गए शिक्षक चैल सिंह के परिजनों ने नियो पाॅलीटिको को एक आडियो भी उपलब्ध कराया है, जिसमें मृतक के पिता और चैल सिंह द्वारा किसी ने भी जातिवाद या घड़े से पानी पीने की बात का जिक्र नहीं किया हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला किसी भी तरह से जाति संबंधित नहीं है और न ही पानी के बर्तन से संबंधित कोई घटना स्कूल में घटी है।
वायरल आडियो में दोनों को चर्चा करते हुए भी सुना जा सकता है कि मृतक छात्र को उसके दुर्व्यवहार के लिए थप्पड़ मारा गया था, जिस पर मृतक छात्र के पिता को भी यह कहते हुए सुना जा सकता है कि थप्पड़ मारना शिक्षक का अधिकार है, लेकिन उन्हें हाथ के बजाय छड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए था।
इतना ही नहीं स्कूल में कार्यरत आठ शिक्षकों में से पांच शिक्षक भी दलित समुदाय के ही है, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर घटना में जातिवाद के सभी आरोपों को खारिज किया है।
दलित संगठनों ने घटना को दिया जातिगत रूप
वहीं हमारी जांच पड़ताल में स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों ने हमें बताया कि सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में पीने के पानी के लिए अलग से कोई भी बर्तन नहीं है, भीम आर्मी और अन्य दलित संगठनों की संलिप्तता के बाद ही मामले को जातिगत रूप दे दिया गया।
मेघवाल समुदाय से आने वाले एक शिक्षक गट्राम मेघवाल ने भी मीडिया और पीड़ित परिवार द्वारा किए गए सभी दावों का खंडन किया है। उन्होंने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा “मैं यहां पिछले 6 सालों से पढ़ा रहा हूं लेकिन कभी भी कोई भेदभाव नहीं देखा और यहां पानी पीने के लिए भी अलग से कोई बर्तन उपलब्ध नहीं है, सभी छात्र अपनी जरूरतों के लिए पानी की टंकी पर ही जाते हैं”।
पुलिस ने भी की पुष्टि
घटना के मामले में एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि अब तक की जांच में अलग मटके से पानी पीने की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं शिक्षकों व बच्चों ने भी बताया कि स्कूल में पानी पीने के लिए एक ही टंकी है, उसी से सब पानी पीते हैं।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.