नई दिल्ली- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के हितों को ध्यान में रखतें हुए राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा हैं। सासंद सतीश चंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री को बताया कि केन्द्र सरकार के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को जो 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है, उसका जो लाभ छात्रों को मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पा रहा हैं।
सामान्य वर्ग को पहली बार मिला आरक्षण
सासंद सतीश चंद्र दुबे ने पत्र के माध्यम कहा कि भारतीय इतिहास में पहली बार आर्थिक रूप से कमजोर एवं उपेछित सामान्य वर्ग के करोड़ो लोगों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिला कर उनको भी बराबरी का हक दिया गया। लेकिन इस 10 फीसदी आरक्षण का जो असली उद्देश्य था, वह अभी तक सफल नहीं हो पाया हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक अभाव से जूझते सामान्य वर्ग के प्रतियोगी जो प्रायः सुविधाओं की कमी एवं गरीबी के कारण समय से स्कूल, कालेजों में दाखिला लेने अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने में अपनी उम्र सीमा की वजह से वंचित रह जाते है। जिसके चलते ही उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, लेकिन उसका जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है।
राज्यसभा सासंद सतीश चंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि अन्य वर्गों के समान आर्थिक रूप से कमजोर व पिछड़े वर्ग के छात्रों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं कि तैयारी हेतु निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था का कार्य किया जाय तो अति उत्तम होगा। उन्होंने कहा कि समय-समय पर इस मुद्दे को सदन में और पत्र के माध्यम से अनेकों सांसदों द्वारा भी उठाया गया है, परंतु ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत सामान्य वर्ग के छात्रों की आयु सीमा और परीक्षा शुल्क को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
इतना ही नहीं सासंद श्री दुबे ने आग्रह किया कि सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों के लिए जो 10 फीसद आरक्षण का प्रवधान किया गया है, उनको भी प्रतियोगी परीक्षाओं मे उम्र व परीक्षा शुल्क में छूट के साथ-साथ निःशुल्क कोचिंग की भी व्यवस्था करने की कृपा करें। जिससे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं को भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ठीक प्रकार से लाभ मिल सके।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.