बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण पर लगी रोक को रद्द करने या संशोधन करने वाली राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया हैं. बता दे कि राज्य सरकार ने पदोन्नति आरक्षण पर लगी रोक को हटाने या संशोधित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दलील दी गई कि पदोन्नति आरक्षण पर लगी रोक हटाने से आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को चार साल से रूकी पदोन्नति का फायदा मिल सकेगा.
जानिए क्या है पूरा मामला?
आपको बता दे कि 22 अक्टूबर 2019 को छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें अनुसूचित जाति के वर्ग 1 से वर्ग 4 तक सरकारी कर्मचारियों के लिए 13 फीसदी आरक्षण और अनुसूचित जनजाति के सरकारी कर्मचारियों के लिए 32 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया था.
वहीं राज्य सरकार की इस अधिसूचना के बाद रायपुर निवासी एस संतोष कुमार ने अपने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया गया कि पदोन्नति में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरक्षण के नियमों के खिलाफ हैं. जहां हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान 2 दिसंबर 2019 को एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा ने अधिसूचना जारी करने में गलती स्वीकार की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसे सुधारने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया. लेकिन मामले में कोई कार्रवाई न करने पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पी आर रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पी पी साहू की खंडपीठ ने जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की वर्तमान याचिका खारिज करते हुए कहा कि 2019 के आदेश से वरिष्ठता के आधार पर नियमित पदोन्नति में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं होती है, कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में पहले भी कोई औपचारिक आवेदन दायर नहीं किया गया. वहीं इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए हाईकोर्ट द्वारा जनवरी 2024 का समय दिया गया हैं.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.