नई दिल्ली- देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर पब्लिक के सामने SC-ST समुदाय के किसी व्यक्ति के साथ जातिसूचक टिप्पणी की जाती है, तभी वह एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध माना जाएगा।
बता दे कि एससी एसटी एक्ट से जुड़ा एक केस सबसे पहले लोअर कोर्ट में पहुंचा था, जहां कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद केस हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां से एफआईआर का आदेश जारी कर दिया गया, लेकिन बाद में मामले में कथित आरोपी बनाए गए व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जहां सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंंदरेश की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर मामले में आरोप स्पष्ट नही है और अपराध होने के लिए जो पैमाने होने चाहिए, उस बारे में डिटेल्स नहीं है तो ऐसे मामले में केस दर्ज कर छानबीन का आदेश जारी नही किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी एसटी एक्ट की धारा- 3 कहती है कि अगर जानबूझकर विक्टिम को जाति के आधार पर अपमानित किया गया है या अपमान पब्लिक के सामने हुआ हो। जबकि जो केस अभी सामने आया है, उसमें पब्लिक के सामने टिप्पणी नहीं हुई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के एफआईआर दर्ज करने के आदेश खारिज कर दिया।
वहीं हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी एससी एसटी एक्ट के एक केस की सुनवाई के दौरान धारा 3(2)वी का जिक्र करते हुए कहा था कि जाने अनजाने में की जातिसूचक टिप्पणी एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध नही माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अपराध तभी माना जाएगा, जब टिप्पणी करने वाला पहले से जानता हो कि वह जिसके खिलाफ जातिसूचक या अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। वह अनुसूचित जाति का है।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.