मैरी काम नें जिस चैम्पियनशिप में फहराया तिरंगा, उसी में हुई थी भारत की बेइज्जती

नईदिल्ली : ताज़ा खबर तो यही है कि इस वक्त हर शख्स की जुबां पर बस एक ही नाम आ रहा है वो है हिंदुस्तान की महान खिलाड़ी एमसी मैरी काम का | भला हो भी क्यों न ? तिरंगा का मान जो उन्होंने 7वें आसमान पर पहुंचाया है !

उनका खेल के प्रति समर्पण उनकी ही चंद पंक्तियों में झलकता है कि ” आपकी जर्सी ये मायने नहीं रखती कि आप कहाँ से हैं, आपकी उम्र क्या है और आप महिला हैं या पुरुष ? जो चीज मायने रखता है वो है आपका जज्बा “ |

और जो बातें इस महान खिलाड़ी नें कही हैं वही बातें किसी भी खिलाड़ी को बुलंदियों के शिखर तक का रास्ता तय कराती हैं | 35 साल की मैरी काम देश की सबसे उम्रदराज मुक्केबाज हैं, इसके अलावा उनकी एक संतान भी है लेकिन इन सब को पीछे छोंड़ देता है खेल के लिए उनकी कड़ी मेहनत व लगन |

चैम्पियनशिप शुरुआत से ही देश-विदेश की सुर्खियां बनी :

इसका आयोजन 15-24 नवंबर के बीच राजधानी दिल्ली में आल इंडिया बाक्सिंग फेडरेशन द्वारा किया गया जिसमें 73 देशों के 333 मुक्केबाजों नें भाग लिया | लेकिन इसी दरमियान दिल्ली का प्रदूषण भी अपने चरम पर था, और इसी बात के लिए कई विदेशी टीमों नें आपत्ति भी जताई थी |

फ्रेंच कोच नें तो यहाँ तक कह दिया था कि ” प्रदूषण के कारण दिल्ली में हमारे खिलाड़ी असहज महसूस कर रहे हैं इसलिए इसका वेन्यू दिल्ली से दूसरी जगह किया जाए ” |

आयोजकों का जबाब था कि ” इसके लिए सबसे अच्छी जगह दिल्ली ही है क्योंकि यहां सभी सुविधाएँ हैं ” |

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बुल्गारिया की खिलाड़ी व 2014 में स्वर्ण पदक विजेता स्टानीमीरा नें कहा था कि ” मेरे परिवार वाले मेरे स्वास्थ्य पर चिंतित हैं यह मेरे शरीर के लिए नुकसानदेह है ” |

इसके अलावा कई विदेशी खिलाड़ियों नें प्रदूषण से बचने के लिए मास्क व स्कार्फ का उपयोग किया था जिस पर भारत के “इंडियन एक्सप्रेस” से लेकर अमेरिकी “न्यूयार्क टाइम्स”  तक में प्रदूषण पर खिल्ली उड़ी थी |

क्रिकेटर गौतम गंभीर नें भी ट्वीट करके प्रदूषण पर दिल्ली की “आप” व भाजपा सरकार को आड़ों हाँथ लिया था और उन्होंने लिखा कि ” मेरा सिर शर्म से झुक गया ” |

उधर भारत सरकार द्वारा कोसोवो के 1 खिलाड़ी व 2 कोच को राष्ट्रीयता की स्पष्टीकरण न होने से बीजा नहीं दिया गया इस पर एक विदेशी मीडिया लिखता है कि ” ऐसी परिस्थितियों से भविष्य में भारत में ओलम्पिक आयोजन पर प्रभाव पड़ सकता है ” |

मैरी काम के सुनहरे पंच नें रचा इतिहास : 

जुझारू खिलाड़ी मैरी इस चैम्पियनशिप में भारत की अगुवाई कर रही थीं और देश उनसे उम्मीद लगाए बैठा था कि वो 6वीं बार ख़िताब पर कब्जा करेंगी |

ये बात शनिवार को सच हो गई जब उन्होंने उक्रेन के हना ओकोता को 48 किलो भार वर्ग में हरा दिया | और फिर से सोने का तमगा देश के नाम किया, जीत के बाद भावुक हुई मैरी काम नें  कहा कि ” इस जीत को मैं देश के लिए समर्पित करती हूँ ” |

इस जीत के साथ वो देश की एक मात्र महिला मुक्केबाज हैं 6वीं बार विश्वविजेता बनी हैं | हालांकि 35 साल की खिलाड़ी होने के बाद भी उनका दमदार प्रदर्शन जारी है | इसके पहले उनकी कुछ उपलब्धियां देखते हैं :

  • एशियाई खेलों में स्वर्ण,
  • ओलम्पिक में कांस्य पदक,
  • राष्ट्र्मंडल खेलों में स्वर्ण पदक |

उनके इस ऐतिहासिक जीत पर देश की सभी बड़ी हस्तियों नें अपने बधाई संदेशों के जरिए देश के इस गौरव को प्रस्तुत किया है |

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