इंदौर: संभाग में SC-ST एक्ट के तहत दर्ज दुष्कर्म के मामलों में करीब 75% केस कोर्ट में साबित नहीं हो पा रहे हैं। पिछले डेढ़ साल (1 जनवरी 2023 से 30 जून 2024) में संभाग के 8 जिलों में SC-ST एक्ट के तहत 52 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 38 मामलों में आरोपी बरी हो गए। इन मामलों में मुख्य वजह रही कि पीड़िताएं या उनके परिजन कोर्ट में अपने बयान से पलट गए। अधिकांश मामलों में आरोपी सजा से बच निकले हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बड़वानी को छोड़ अन्य जिलों में सजा न के बराबर
संभाग में SC-ST एक्ट के तहत दर्ज 52 मामलों में से केवल 14 मामलों में आरोपियों को सजा हो सकी है। इनमें से 12 मामले अकेले बड़वानी जिले के हैं, जबकि इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर और खरगोन जिलों में एक भी मामला सजा तक नहीं पहुंचा। खंडवा और बुरहानपुर जिलों में सिर्फ 1-1 केस में सजा मिली है। इन आंकड़ों से साफ है कि ज्यादातर जिलों में SC-ST एक्ट के तहत दर्ज मामलों में न्याय नहीं हो पा रहा है, और आरोपियों को बरी कर दिया जा रहा है।
मुआवजे के लालच में दर्ज हो रहे फर्जी केस
SC-ST एक्ट के तहत दुष्कर्म पीड़िताओं को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलता है, जिसमें 50% राशि एफआईआर दर्ज होते ही दी जाती है। इसके बाद कोर्ट में चालान पेश होने पर 25% और कोर्ट के फैसले के बाद शेष 25% राशि दी जाती है। अधिवक्ता धर्मेंद्र गुर्जर के अनुसार, मुआवजा पाने के लालच में कई पीड़िताएं झूठे केस दर्ज कराती हैं। अदालत में जब वे अपने बयान से पलटती हैं, तो आरोपी बरी हो जाते हैं। इससे यह साफ होता है कि मुआवजा प्रणाली का दुरुपयोग हो रहा है।
झूठे आरोपों में निर्दोषों को जेल में बिताने पड़े महीने
इंदौर संभाग में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां निर्दोष व्यक्तियों को झूठे आरोपों के कारण जेल में रहना पड़ा। बाणगंगा थाने के एक मामले में 20 वर्षीय युवक को 11 महीने जेल में बिताने पड़े, जबकि बाद में पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि वह आरोपी से शादी करना चाहती थी और परिवार के दबाव में आकर झूठे आरोप लगाए थे। ; सांवेर के एक केस में पांच साल ट्रायल चला, लेकिन अंत में पीड़िता ने कोर्ट में स्वीकार किया कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी और परिवार के दबाव में झूठे आरोप लगाए थे। ; एक अन्य मामले में, एक युवक पर इंदौर और झारखंड में दुष्कर्म के केस दर्ज किए गए, लेकिन बाद में पीड़िता ने कोर्ट में बयान से पलटते हुए कहा कि सहमति से संबंध बने थे, और 2023 में आरोपी बरी हो गया।
225 नए केस, 89 लाख से ज्यादा का मुआवजा
1 जनवरी 2023 से 30 जून 2024 के बीच इंदौर संभाग में SC-ST एक्ट के तहत 225 नए केस दर्ज किए गए। इस अवधि में पीड़िताओं को कुल 89 लाख 60 हजार रुपए का मुआवजा दिया गया। एसपी अजाक (अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण प्रकोष्ठ) शकुंतला रूहल के अनुसार, मुआवजा राशि नियमानुसार सभी केसों में जारी की गई।