हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने व्यापक घर-घर जाति सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य राज्य में सभी समुदायों के बीच संसाधनों का समान और लक्षित वितरण सुनिश्चित करना है। इस कदम के साथ, तेलंगाना आंध्र प्रदेश और बिहार के बाद जाति आधारित जनगणना शुरू करने वाला तीसरा राज्य बन गया है। इस सर्वेक्षण का आदेश राज्य की मुख्य सचिव शांति कुमारी ने शुक्रवार को जारी किया, जिसमें सर्वेक्षण को 60 दिनों के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। योजना विभाग को इस सर्वेक्षण का नोडल विभाग बनाया गया है।
चुनावी वादों की पूर्ति और सर्वेक्षण की शुरुआत
यह सर्वेक्षण तेलंगाना में कांग्रेस द्वारा पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए वादों में से एक है। सर्वेक्षण का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, रोजगार, शैक्षिक और राजनीतिक अवसरों की योजना बनाकर OBC, SC, ST और अन्य कमजोर वर्गों को इसका लाभ दिलाना है। 4 फरवरी को कैबिनेट ने इस निर्णय को मंजूरी दी थी, और 16 फरवरी को विधानसभा में इस पर प्रस्ताव पास किया गया था। पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोंनम प्रभाकर के अनुसार, “इस सर्वेक्षण से राज्य के कमजोर वर्गों को न्याय मिलने की उम्मीद है।”
SC उप-वर्गीकरण के लिए आयोग की नियुक्ति
तेलंगाना सरकार ने SC वर्गों के उप-वर्गीकरण के लिए एक आयोग की नियुक्ति की है, जिसकी अध्यक्षता पूर्व हाई कोर्ट जज शमीम अख्तर करेंगे। यह आयोग SC उप-वर्गीकरण के आधार पर शिक्षा और रोजगार में आरक्षण के लाभों को बढ़ाने के लिए अध्ययन करेगा। आयोग सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जाँच करेगा और यह निर्धारित करेगा कि कौन से उप-समूहों को आरक्षण की जरूरत है। इसके अलावा, आयोग सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के आदेश का अनुसरण करेगा, जिसमें SC और ST वर्गों के उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई थी। आयोग 60 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा और यह निर्धारित करेगा कि आरक्षण नीति को कैसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
तेलंगाना का यह कदम बिहार के जाति सर्वेक्षण के बाद आया है, जिसने OBC, SC, ST और “सवर्ण” आबादी के आंकड़े सामने रखे। बिहार सरकार ने इसके बाद सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को बढ़ाकर 75% कर दिया था। तेलंगाना भी इस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में है, और यह देखना होगा कि क्या राज्य बिहार के मॉडल का अनुसरण करेगा या अपने लिए कुछ अलग रास्ता चुनेगा।