राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहने पर बवाल, करणी सेना ने दी उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

आगरा: राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहे जाने से पूरे देश के क्षत्रिय समाज और करणी सेना में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। करणी सेना ने इसे राजपूत इतिहास और स्वाभिमान का अपमान बताते हुए सांसद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। संगठन ने 12 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है कि अगर तब तक उचित कदम नहीं उठाए गए, तो देशभर में उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।

राज्यसभा में रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा, वायरल हुआ वीडियो

21 मार्च को राज्यसभा में चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने एक बयान में कहा कि राणा सांगा ने ही बाबर को भारत बुलाया था और भाजपा अगर यह कहती है कि मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो हिंदू राणा सांगा की औलाद क्यों नहीं हैं? उन्होंने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा। यह बयान जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, क्षत्रिय समाज में गुस्से की लहर दौड़ गई। लोगों ने इसे राजपूत विरासत और बलिदान का घोर अपमान बताया।

26 मार्च को करणी सेना ने सांसद के घर के बाहर बुलडोजर लेकर किया प्रदर्शन

इस बयान के विरोध में करणी सेना ने 26 मार्च को आगरा स्थित सांसद रामजीलाल सुमन के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। भारी संख्या में करणी सेना के कार्यकर्ता 50 से अधिक गाड़ियों और 2 प्रतीकात्मक बुलडोजरों के साथ पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों के शीशे तोड़े, घर के बाहर नारेबाजी की और जमकर हंगामा किया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें करीब 14 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने करणी सेना के कई सदस्यों को हिरासत में भी लिया। इस घटना को लेकर पुलिस ने संगठन के कुछ नेताओं पर मुकदमा भी दर्ज कर लिया है।

करणी सेना की चार बड़ी मांगे – सांसद पर देशद्रोह का मुकदमा, बुलडोजर की कार्रवाई और पुलिस पर एक्शन

करणी सेना ने अपनी प्रमुख मांगों को सरकार के सामने रखते हुए साफ शब्दों में कहा है कि अगर 12 अप्रैल तक इन पर कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरे देश में व्यापक आंदोलन होगा। पहली मांग यह है कि सांसद रामजीलाल सुमन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रनायक राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहकर न केवल इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई है। दूसरी मांग है कि जिस तरह सरकार विभिन्न अपराधों और अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलवाती है, उसी तर्ज पर सांसद के घर पर भी बुलडोजर चलाया जाए, ताकि देश को एक समान कानून का संदेश मिले।

तीसरी मांग है कि 26 मार्च को आगरा में प्रदर्शन के दौरान जिन पुलिसकर्मियों ने करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया और उनके साथ बर्बरता की, उन पर विभागीय और कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। चौथी और आखिरी मांग यह है कि प्रदर्शन में गिरफ्तार सभी करणी सैनिकों पर दर्ज मुकदमे अविलंब वापस लिए जाएं। करणी सेना ने सरकार को चेताया है कि अगर इन मांगों को 12 अप्रैल तक पूरा नहीं किया गया, तो वे अगला कदम सोच-समझकर नहीं, बल्कि जनाक्रोश के साथ उठाएंगे।

12 अप्रैल को आगरा में ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’, आंदोलन की रणनीति होगी तय

करणी सेना ने घोषणा की है कि 12 अप्रैल को आगरा के कुबेरपुर, गढ़ी रामी में ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम को क्षत्रिय स्वाभिमान की निर्णायक लड़ाई की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। सम्मेलन स्थल पर भूमि पूजन पहले ही हो चुका है और राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत स्वयं आयोजन की निगरानी कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में देशभर से राजपूत प्रतिनिधि, क्षत्रिय संगठन और करणी सैनिक जुटेंगे और यही तय करेंगे कि अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए।

इतिहास में राणा सांगा की भूमिका – बाबर को बुलाने का दावा कितना सही?

महाराणा संग्राम सिंह, जिन्हें राणा सांगा कहा जाता है, 1509 से 1528 तक मेवाड़ के शासक थे और उन्हें भारत के महानतम योद्धाओं में गिना जाता है। 1527 में बाबर से खानवा के मैदान में भयंकर युद्ध करने वाले राणा सांगा को लेकर यह ऐतिहासिक मत है कि उन्होंने अफगान लोदी वंश को हटाने के लिए कभी बाबर से संपर्क किया था। लेकिन जैसे ही बाबर ने भारत में कब्ज़ा करना शुरू किया, राणा सांगा ने उससे युद्ध किया और बलिदान दिया। इतिहास में उन्हें ‘स्वाभिमान और बलिदान के प्रतीक’ के रूप में जाना जाता है। ऐसे व्यक्ति को संसद में ‘गद्दार’ कहना क्षत्रिय समाज के लिए गहरे अपमान की बात मानी जा रही है।

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