पहलगाम: कश्मीर के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल की दोपहर आतंकियों ने घातक हमला किया। इस हमले में उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी की सबसे पहले गोली मारकर हत्या कर दी गई। आतंकियों ने गन तानकर पहचान पूछी और ‘हिंदू या मुसलमान’ का जवाब मांगा। पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया गया। शुभम की पत्नी ऐशन्या ने इस पूरे हमले को अपनी आंखों के सामने होते देखा और घटना के हर क्षण का बयान दिया।
हमला तब हुआ जब परिवार खाना खा रहा था, गन तानकर पूछा गया – “हिंदू या मुसलमान?”
घटना के वक्त शुभम द्विवेदी अपनी पत्नी ऐशन्या के साथ बैसरन घाटी में टहल रहे थे। उनके पिता पास के रेस्टोरेंट के वॉशरूम में थे। दोनों पति-पत्नी मैगी खाने जा रहे थे कि तभी एक आतंकी पीछे से आया और शुभम पर गन तान दी। उसने पूछा – “हिंदू हो या मुसलमान?” फिर कहा – “अगर मुसलमान हो तो कलमा पढ़कर सुनाओ।” ऐशन्या ने पहले इस सवाल को मजाक समझा और कहा, “क्या हुआ भइया?” लेकिन आतंकी ने ऐशन्या से भी वही सवाल दोहराया। ऐशन्या ने जवाब दिया कि वह हिंदू है। इसके तुरंत बाद आतंकी ने शुभम के सिर में गोली मार दी। ऐशन्या ने बताया कि उसी वक्त वहां भगदड़ मच गई और गोलियां चलनी शुरू हो गईं। कई लोगों को निशाना बनाया गया और घाटी लाशों से भर गई।
पत्नी ऐशन्या को आतंकियों ने कहा – “जाओ मोदी को बता देना, इसलिए जिंदा छोड़ा”
शुभम की पत्नी ऐशन्या ने बताया कि जब आतंकियों ने उसके पति को गोली मारी, वह बेहोशी की हालत में थी। उसने आतंकियों से कहा कि उसे भी मार दें, लेकिन हमलावरों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा – “तुझे इसलिए जिंदा छोड़ रहे हैं ताकि जाकर मोदी को ये सब बता सके।” इसके बाद आतंकियों ने हमला जारी रखा और कई अन्य पर्यटकों को निशाना बनाया। यह बयान शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने भी मीडिया को दिया, जिन्होंने कहा कि आतंकियों ने ऐशन्या से सीधे यह बात कही थी।
दो महीने पहले हुई थी शादी, 12 फरवरी को बंधे थे शादी के बंधन में
शुभम द्विवेदी की शादी यशोदानगर, कानपुर की रहने वाली ऐशन्या से 12 फरवरी 2025 को हुई थी। शुभम पेशे से एक सफल कारोबारी थे और अपने परिवार के साथ कानपुर के श्यामनगर में रहते थे। 17 अप्रैल को शुभम, ऐशन्या और परिवार के अन्य 11 सदस्य कश्मीर की यात्रा पर निकले थे। वे सोनमर्ग और गुलमर्ग घूमने के बाद पहलगाम पहुंचे थे। 23 अप्रैल को उन्हें लौटना था, लेकिन एक दिन पहले 22 अप्रैल को ही ये आतंकी हमला हो गया। शुभम की उम्र मात्र 31 वर्ष थी और वे शादी के बाद पहली बार पत्नी के साथ घूमने निकले थे।
परिवार में मातम, मां और दादी बेसुध, चाचा बोले – “ऐसे हमलों से विश्वास टूटा”
शुभम की मां ने बेटे का शव देखकर जोर-जोर से रोते हुए कहा कि आतंकियों को सख्त से सख्त सज़ा दी जाए। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को बेहद निर्ममता से मारा गया है और वे न्याय की मांग करती हैं। शुभम की 85 वर्षीय दादी विमला देवी ने बताया कि उन्होंने शुभम से शादी के लिए कहा था ताकि बहू का मुंह देख सकें, लेकिन अब पोते की अर्थी देख रही हैं।
शुभम के चाचा ने कहा कि जब से धारा 370 हटी है, तब से एक विश्वास था कि अब कश्मीर सुरक्षित है और वहां टूरिज्म के लिए जाना सामान्य हो गया है। लेकिन इस हमले ने सब कुछ तोड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सुरक्षा में चूक के चलते इतना बड़ा हमला हुआ और अब सवाल उठता है कि क्या कश्मीर में आम नागरिक सुरक्षित हैं?
बैसरन घाटी में दस मिनट तक चली गोलियां, 27 टूरिस्ट्स की मौत, अफरा-तफरी में कई घायल
घटना 22 अप्रैल की दोपहर 2:00 बजे की है। कश्मीर के पहलगाम इलाके में स्थित बैसरन घाटी में देश के अलग-अलग राज्यों से आए 40 से अधिक पर्यटक खुले मैदान में बैठे हुए थे। तभी जंगल की ओर से दो लोग आए। उन्होंने एक टूरिस्ट से नाम पूछा और उसकी ओर इशारा करके कहा – “ये मुस्लिम नहीं है।” फिर पिस्टल निकाली और उसके सिर में गोली मार दी।
इसके बाद 10 मिनट तक लगातार गोलियां चलीं। टूरिस्ट्स और दुकानदारों में भगदड़ मच गई। कुछ लोग जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागे तो कुछ जमीन पर लेट गए। शाम तक मरने वालों की संख्या बढ़ती रही और रात 11 बजे तक 27 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उनका इलाज श्रीनगर में चल रहा है।