मनुस्मृति की तारीफ करना पड़ा भारी: शर्मा जी चाय वाले से भीम आर्मी की गुंडागर्दी, दुकान में टांगी अंबेडकर की फोटो, लिखा- “संविधान सम्मत चाय मिलती है”

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मनुस्मृति की तारीफ करने वाले बयान ने लखनऊ के शर्मा जी चाय वाले को बड़ी मुसीबत में डाल दिया। मंगलवार को आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी का राजनीतिक संगठन) के कार्यकर्ता भारी संख्या में हजरतगंज स्थित उनकी दुकान पर पहुंच गए और नारेबाजी करते हुए माफ़ी मांगने के लिए दबाव बनाने लगे। बात यहीं नहीं रुकी—दुकान के अंदर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर जबरन टांग दी गई और पोस्टर चिपका दिया गया जिस पर लिखा था– “यहाँ संविधान सम्मत चाय मिलती है।”

क्या है पूरा मामला?

बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें शर्मा चाय के दुकानदार यह कहते सुने गए कि “मनुस्मृति सबसे ऊपर है, संविधान उसके बाद आता है।” इसी वीडियो के आधार पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया और #BoycottSharmaChai जैसे हैशटैग चलने लगे। इसी मुद्दे पर मंगलवार को आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता दुकान पर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कार्यकर्ताओं ने दुकानदार को घेर लिया और “संविधान विरोधी दुकान बंद करो” जैसे नारे लगाए। भीड़ बढ़ती गई और माहौल तनावपूर्ण होता गया।

सार्वजनिक माफ़ी, हाथ जोड़कर बोले- “संविधान सर्वश्रेष्ठ है”

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आसपा के प्रदेश सचिव अनिकेत धानुक ने कहा, “जो व्यक्ति संविधान से ऊपर किसी और ग्रंथ को मानता है, वो इस देश की आत्मा को ठेस पहुंचा रहा है। हम ऐसे किसी भी व्यक्ति को माफ नहीं करेंगे।” दबाव बढ़ने पर शर्मा चाय वाले ने हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी और कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “संविधान ही सर्वोच्च है, हम उसे ही मानते हैं।” प्रदर्शनकारियों ने इसके बाद दुकान के अंदर डॉ. अंबेडकर की एक बड़ी तस्वीर टांग दी और दीवार पर एक स्लोगन चिपका दिया—”यहाँ संविधान सम्मत चाय मिलती है”। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान दुकानदार असहाय नजर आए और आसपास की दुकानें भी कुछ देर के लिए बंद हो गईं।

कानून से बड़ा कोई नहीं, पर सड़क पर फैसला?

यह पूरी घटना अब स्वतंत्र अभिव्यक्ति बनाम दबाव की राजनीति का मुद्दा बनती जा रही है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि किसी व्यक्ति के निजी विचार को लेकर भीड़ द्वारा दुकान पर धावा बोल देना और जबरन तस्वीरें टांग देना क्या सही तरीका है? सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर दो मत बन चुके हैं—एक वर्ग इसे संविधान की रक्षा की लड़ाई मान रहा है, जबकि दूसरा इसे भीम आर्मी की गुंडागर्दी और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बता रहा है।

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