असम में भाजपा सरकार द्वारा सरकारी मदरसों को बंद करने की घोषणा की अब पूरे देश भर में चर्चा हो रही है। हजारों सोशल मीडिया तो इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने की माँग करने लगे हैं। तो कुछ नामचीन लोग भी इसी मांग में आगे आए हैं। इसी कड़ी में कई सम्मानों से नवाज़े जाने वाले मेजर पूनिया ने भी असम की तरह पूरे देश में सरकारी मदरसों को बंद करने की मांग उठाई है।
मेजर पूनिया ने अपने बयान में कहा “असम में ही क्यों…पूरे देश में क्यों नहीं ? सरकार के पैसे से चलने वाला मदरसा या कोई अन्य धार्मिक स्कूल सिर्फ़ एक धर्म विशेष की शिक्षा कैसे दे सकता है ?”
आगे मदरसा शिक्षा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि “ये कांग्रेस के बोये हुये बीज़ हैं। वोटों के लिये ये पाकिस्तानी मदरसों को भी सरकारी अनुदान दे सकते हैं।”
कौन हैं मेजर पूनिया:
सुरेंद्र पूनिया, वीएसएम, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता खिलाड़ी, लिम्का बुक रिकॉर्ड धारक, चिकित्सक, भारतीय सेना के पूर्व विशेष बल के अधिकारी और सोल्थेरॉन मैराथन के संस्थापक हैं। वह लगातार चार विश्व चैंपियनशिप में पावर-लिफ्टिंग और एथलेटिक स्पर्धाओं में पदक जीतने के दुर्लभ अंतर के साथ पहले भारतीय एथलीट हैं।
मदरसा बोर्ड भी होगा भंग:
अम की भाजपा सरकार राज्य में मजहबी तालीम को लेकर बड़े कदम उठा रही है। सरकारी मदरसों को नवंबर से बंद करने की घोषणा तो सरकार पहले ही कर चुकी है अब मदरसा बोर्ड भी खत्म कर दिया जाएगा।
इस बारे में असम सरकार के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बयान में कहा है कि “हम मदरसा बोर्ड को भंग कर देंगे। हम मदरसा शिक्षा और सामान्य शिक्षा के समकक्ष अधिसूचना को वापस लेंगे और हम सभी राज्य मदरसों को एक सामान्य स्कूल में बदल देंगे।”
नवंबर से सभी सरकारी मदरसे बंद:
उधर असम की भाजपा सरकार किसी भी धार्मिक शिक्षा को महत्व देने के पुरजोर विरोध में खड़ी हो गई है। अब सरकार के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बयान में कहा कि “सभी राज्य संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा या कुछ मामलों में शिक्षकों को राज्य संचालित स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा और मदरसों को बंद कर दिया जाएगा। नवंबर में एक अधिसूचना जारी की जाएगी।”
सरकारी पैसे से कुरान की पढ़ाई नहीं:
असम मंत्री ने मदरसा शिक्षा पर स्पष्ट करते हुए कहा कि “मेरी राय में, सरकारी पैसे पर कुरआन नहीं पढ़ाया जा सकता है, अगर हमें ऐसा करना है तो हमें बाइबल और भगवद गीता दोनों को भी सिखाना चाहिए। इसलिए, हम एकरूपता लाना चाहते हैं और इस प्रथा को रोकना चाहते हैं।”