वृंदावन: NRI ग्रीन सोसाइटी के लोगों द्वारा संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का विरोध करने के बाद अब उन्होंने पश्चाताप व्यक्त किया है। सोसाइटी के अध्यक्ष आशु शर्मा रविवार को केली कुंज आश्रम पहुंचे और संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि कुछ यूट्यूबर्स ने जानबूझकर सोसाइटी के लोगों को भड़काया था, जिससे यह विवाद खड़ा हुआ।
सोसाइटी के लोगों को अब पछतावा
आशु शर्मा ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा, “ब्रजवासी आपके प्रति मन में एक प्रतिशत भी विद्वेष नहीं रखते। कुछ यूट्यूबर्स ने हमें उकसाया था, जिससे यह विवाद खड़ा हुआ। अब हमें बहुत पछतावा हो रहा है।” उन्होंने दंडवत प्रणाम कर संत प्रेमानंद महाराज से क्षमा याचना की। संत प्रेमानंद महाराज ने क्षमादान देते हुए कहा, “मेरे मन में किसी के प्रति द्वेष नहीं है। ब्रजवासी मेरे प्राण हैं। हमारा उद्देश्य केवल सुख पहुंचाना है। हमने सुना कि कुछ लोगों को कष्ट हुआ, इसलिए हमने अपनी यात्रा का मार्ग ही बदल दिया।”
क्या था पूरा मामला?
4 फरवरी को संत प्रेमानंद महाराज की रात में होने वाली पदयात्रा के दौरान बजने वाले ढोल और आतिशबाजी के विरोध में NRI ग्रीन सोसाइटी के कुछ लोगों ने नाराजगी जताई थी। सोसाइटी की महिलाओं का कहना था कि रात 2 बजे होने वाले शोर से उनके बच्चे सो नहीं पाते, जिससे वे स्कूल जाने में देरी कर देते हैं। इस विवाद के बाद प्रेमानंद महाराज ने अपनी पदयात्रा बंद कर दी और अब वे कार से रमणरेती जाते हैं। वहां से केवल 100 मीटर की पैदल यात्रा करके अपने आश्रम पहुंचते हैं।
संत प्रेमानंद महाराज और आशु शर्मा के बीच बातचीत
आशु शर्मा ने संत प्रेमानंद महाराज से कहा कि वे उन्हें दस वर्षों से जानते हैं और उनकी यात्रा को लेकर उनका कोई विरोध नहीं है। उन्होंने बताया कि कुछ यूट्यूबर्स ने जानबूझकर ग्रीन सोसाइटी के लोगों को भड़काया था, जिससे यह विवाद खड़ा हुआ। संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि उनका कार्य केवल सभी को सुख देना है और यदि किसी को उनकी यात्रा से कष्ट हुआ है तो उन्होंने इसका समाधान निकालते हुए अपनी यात्रा का मार्ग बदल लिया।
उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है। आशु शर्मा ने बताया कि सोसाइटी के लोग अपनी गलती स्वीकार कर चुके हैं और वे संत प्रेमानंद महाराज से मिलकर माफी मांगना चाहते हैं। इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ब्रजवासी उनके आराध्य देव हैं और वे कभी किसी का अहित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सोसाइटी के लोग जब चाहें, उनसे मिल सकते हैं।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने किया था सोसाइटी के विरोधियों पर प्रहार
संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा स्थगित होने के बाद महाकुंभ में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने इस पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, “आज के समय में प्रेमानंद महाराज जैसे संतों की वाणी करोड़ों लोग सुनते हैं। उनकी यात्रा का विरोध करने वाली महिलाओं को समझना चाहिए कि यदि साधुओं के भजन पर रोक लगेगी, तो यह सही नहीं है। जो लोग इस यात्रा का विरोध कर रहे हैं, वे वृंदावन छोड़कर दिल्ली में बस जाएं।” हालांकि, उनके इस बयान पर विवाद बढ़ गया और विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध किया। राष्ट्रीय ब्राह्मण सेवा संघ ने मीटिंग बुलाकर धीरेंद्र शास्त्री से माफी मांगने की मांग की।
धीरेंद्र शास्त्री ने दी सफाई
विरोध बढ़ने के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने एक वीडियो जारी कर कहा, “मैंने पूरे ब्रजवासियों पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। मुझे मीडिया से पता चला कि संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का विरोध हुआ है। मैंने कहा था कि जो लोग राधे-राधे कहने में दिक्कत महसूस करते हैं, वे वृंदावन छोड़कर कहीं और चले जाएं। लेकिन मेरी इस बात को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया। मैं ब्रजवासियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि वे इस बात को अन्यथा न लें।” इस पूरे घटनाक्रम पर ब्रजवासियों का कहना है कि उन्होंने प्रेमानंद महाराज का नहीं, बल्कि शोर-शराबे का विरोध किया था। वे केवल चाहते थे कि रात में अधिक शोरगुल न हो, जिससे बच्चों की पढ़ाई और दिनचर्या प्रभावित न हो।
वृंदावन के कुछ लोगों ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री जोशीले सनातनी हैं और उन्हें अपने बयान सोच-समझकर देने चाहिए।