गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदलने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत ने शिक्षा मंत्री रनोज पेगु और वित्त मंत्री अजंत नियोग और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में शिक्षा विभाग के कामकाज की व्यापक समीक्षा की और कई निर्देश दिए।
इस बैठक में मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश कि पोस्टिंग एंड ट्रांसफर एक्ट का सख्ती से क्रियान्वयन हो और मदरसों का सामान्य विद्यालय में शीघ्र परिवर्तन किया जाए।
पिछले साल आया था बिल:
गौरतलब है कि दिसम्बर 2020 में सरकारी मदरसों को बंद करने वाले बिल को असम विधानसभा में पास कर दिया गया है। जिससे मदरसों को नियमित स्कूल में बदलने की योजना थी।
असम विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र के दौरान राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने सदन में असम रिपील-2020 बिल को पेश किया था। जिसको लेकर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और कांग्रेस ने जमकर विरोध भी किया था।
सरकार का काम धार्मिक शिक्षा देना नहीं
बिल को सदन में पेश करते हुए तत्कालीन शिक्षा मंत्री हेमन्त ने कहा था कि सरकार का काम धार्मिक शिक्षा देना नहीं है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, हमारे देश के हिंदू, क्रिश्चियन एवं अन्य धर्मों के विधायकों को आज बधाई देना चाहिए, क्योंकि आज तक किसी ने अपने धर्म की शिक्षा को सरकारी फंड के जरिए मुहैया कराने की मांग नहीं उठायी।
कांग्रेस का वाक आउट के जरिए विरोध
उन्होंने ने कहा कि खुशी है कि मद्रास के प्रांतीयकरण को निरस्त करने से संबंधित विधेयक को पारित कर दिया गया, यहां तक कि कांग्रेस और AIUDF ने भी असेंबली में वॉकआउट किया था। पूर्व की योजना के अनुसार सरकारी मद के तहत चलाए जा रहे सभी मदरसे 1 अप्रैल, 2021 से नियमित शिक्षण संस्थान में परिवर्तित होने थे।
शिक्षकों की पूर्व की तरह ही बहाली
हेमंत ने कहा था कि मदरसा और संस्कृत विद्यालयों के जो भी शिक्षक हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। उनकी नौकरी पूर्व की तरह बहाल रहेगी। उन्होंने कहा कि इन दोनों तरह के विद्यालयों को सामान्य विद्यालय के रूप में तब्दील किया जाएगा।