पटना: बिहार में जातिगत समीकरण को साधने के लिए बिहार सरकार द्वारा लागू किया गया 75 फीसदी आरक्षण अब हाई कोर्ट जा पहुंचा है। बढ़े हुए आरक्षण को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने इसे 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन करार दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि- ‘ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन’ है।
राज्य में में पिछड़ा,अति-पिछड़ा, दलित और महादलित को मिलने वाले आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया है। बिहार में कुल आरक्षण 75 फीसदी पहुंच चुका है। वहीँ अगड़ी जातियों में से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी की आरक्षण की सीमा है। बता दें कि बिहार में जातिगत सर्वे के बाद से आरक्षण को बढ़ाने की बातें होने लगी थीं।
नए प्रावधान के तहत अब अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 2 प्रतिशत, अति पिछड़ा जाति को 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस निर्णय के लागू होने के बाद अब कुल मेरिट की सीट राज में घटकर 25 प्रतिशत रह गई हैं।