बाम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों के खिलाफ दर्ज एससी एसटी एक्ट के मुकदमे में अग्रिम जमानत दे दी है, कोर्ट ने कहा कि आरोपी द्वारा अपने घर में की गई कोई भी आवाज अपराध की श्रेणी में नहीं आता हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने आगे कहा कि अगर आरोपी के द्वारा अपने घर में सीटी या गाना बजाया जाता है तो इसका यह मतलब कतई नहीं हो सकता कि वह यौन उत्पीड़न के इरादे से किया गया था।
जानिए क्या है पूरा मामला?
आपको बता दे कि शिकायतकर्ता महिला का आरोप था कि उसका एक पड़ोसी उसे इस प्रकार से देखता है, जिससे उसकी लज्जा भंग होती हैं। इतना ही नहीं अपने घर की छत पर तेज आवाज में गाने बजाता हैं और साथ में सीटी भी बजाता है, इसके अलावा लगातार अपनी गाड़ी का हार्न भी बजाता है।
जिसके बाद महिला ने अपने ही पड़ोसियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं सहित एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करा दिया था और कथित आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी, लेकिन विशेष न्यायाधीश ने अपीलकर्ताओं की अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसके बाद अपीलकर्ताओं ने बाम्बे हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दी जमानत
बाम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस अभय एस वाघवासे की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अपीलकर्ताओं के द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ कई बार शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि जब कानून को मानने वाला एक नागरिक कानूनी प्रक्रिया को अपना रहा है और रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गया था, लेकिन पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखीं गई। इसके बाद अपीलकर्ता सुरक्षा के पात्र हैं।
इतना ही नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पेश किए गए सबूतों और प्राथमिकी में कथित घटनाओं का कोई विवरण नहीं है और दर्ज प्राथमिकी के आधार पर कोई भी अपराध की पुष्टि नहीं होती है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने तीनों अपीलकर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.