जयपुर: राजस्थान के बूंदी जिले में तीन साल पहले हुए चर्चित पुजारी हत्याकांड में एससी-एसटी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने सुनवाई के दौरान पाया कि पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों में गंभीर खामियां थीं, जिससे आरोपियों पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हो सके। इस फैसले के बाद पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।
क्या था पूरा मामला?
बूंदी के डोबरा महादेव मंदिर के पुजारी विवेकानंद शर्मा की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इसके साथ ही मंदिर से चारभुजा महाराज की मूर्ति भी चोरी कर ली गई थी। इस घटना के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया था और स्थानीय लोगों ने भारी प्रदर्शन किया था। पुलिस पर अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने का दबाव था, जिसके चलते कुछ ही दिनों में लोकेश उर्फ बिट्टू, सोनू और बादल को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने दावा किया था कि इन तीनों ने ही हत्या और चोरी की घटना को अंजाम दिया था, लेकिन अदालत में ये आरोप साबित नहीं हो सके।
पुलिस की जांच में कहां रही खामियां?
इस मामले की जांच सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा की गई थी। मंदिर से जुड़े अभिषेक नामक युवक की शिकायत पर पुलिस ने प्रकरण संख्या 202/22 के तहत धारा 302 और धारा 4/25 एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था। अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 19 गवाहों के बयान दर्ज कराए और 118 दस्तावेज प्रस्तुत किए, जबकि बचाव पक्ष ने 6 दस्तावेज पेश किए। हालांकि, पुलिस इस मामले में कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज जैसी महत्वपूर्ण कड़ियां पेश नहीं कर पाई। इसके अलावा, जब्त किए गए चाकू और मूर्ति से जुड़े सबूत भी संदिग्ध साबित हुए। इस आधार पर न्यायालय ने तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
एसआईटी का गठन और पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और व्यापक जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। तत्कालीन एसपी जय यादव, एडिशनल एसपी किशोरीलाल, डीएसपी हेमंत कुमार और कोतवाली थाना अधिकारी सहदेव मीणा ने मामले की जांच की। पुलिस ने घटनास्थल को सीज कर सबूत जुटाने का प्रयास किया और डॉग स्क्वायड एवं एफएसएल टीम को भी बुलाया गया। जांच के दौरान कई लोगों से पूछताछ की गई, लेकिन कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे।
हत्या के पीछे क्या था मकसद?
मंदिर सेवा समिति के सदस्य आशुतोष शर्मा के अनुसार, पुजारी विवेकानंद शर्मा पिछले 25 वर्षों से डोबरा महादेव मंदिर में सेवा दे रहे थे। यह मंदिर तारागढ़ पहाड़ी के जंगलों के बीच स्थित है, जहां साल 2018 में भी एक बेशकीमती मूर्ति चोरी हो चुकी थी। बदमाशों को लगा कि नई मूर्ति भी मूल्यवान हो सकती है, इसीलिए उन्होंने चोरी की कोशिश की और पुजारी की हत्या कर दी। हालांकि, पुलिस इस थ्योरी को अदालत में साबित नहीं कर सकी, जिससे आरोपियों को बरी कर दिया गया।
इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि जल्दबाजी में हुई गिरफ्तारी के कारण असली अपराधी अभी भी खुले घूम रहे हैं। पुलिस प्रशासन पर निष्पक्ष और ठोस जांच करने का दबाव बढ़ गया है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में सच्चाई सामने आ सके।