कैलिफ़ोर्निया: कैलिफ़ोर्निया के शहर में स्थित दिग्गज तकीनीकी कंपनी में जातिवाद का आरोप अब सर उठाने लगा है। जिसके बाद हमारी टीम ने पुरे मामले की जांच पड़ताल करने की ठानी।
प्रथम दृष्ट्या में यह तो तय था कि भारतीय मीडिया व सभी दलित एक्टिविस्ट पूरी खबर को छुपा रहे है। हमारे द्वारा किये गए सिस्को कंपनी को मेल व कंपनी के कर्मचारी से बातचीत व कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ़ फेयर एम्प्लॉयमेंट एंड हाउसिंग पर गहन अध्यन पर पूरी रिपोर्ट आधारित है।
फलाना दिखाना को प्राप्त हुई सभी मीडिया रिपोर्ट्स में सिर्फ यही पढ़ने को मिल रहा था कि सिस्को कंपनी के दो सुपर वाइजर्स ने एक दलित इंजीनियर के साथ जातीय आधार पर भेदभाव किया था वहीं कैलिफ़ोर्निया डिपार्टमेंट द्वारा किये गए केस में भी यही बात दोहराई जा रही है।
लेकिन हमारी टीम ने जब पूरी जांच को अंजाम दिया तो कहानी कुछ और ही सामने निकल कर आई है। दरअसल कैलिफ़ोर्निया डिपार्टमेंट कि ओर से किये गए केस में दलित इंजीनियर का नाम जॉन डो(बदला हुआ नाम) बताया गया है। डिपार्टमेंट के मुताबिक डो को दलित होने की वजह से उसके सीनियर मैनेजर सुन्दर अय्यर व रमण कोमपेल्ला प्रताड़ित करते थे व उसके साथ अछूतो जैसा व्यवहार किया जाता था जिसके कारण उसका प्रमोशन व अन्य खर्चो को रोक दिया जाता था।
मामला गंभीर होने के साथ बहुत पेचीदा भी था क्यूंकि इस मामले का कोई प्रमाण नहीं था। जाँच में हमने पाया कि एक बार किसी विषय पर जॉन डो को दोनों सीनियर्स ने कहा था कि आपने आरक्षण से इंजीनियरिंग संस्थान IIT में दाखिला लिया था।
जिसपर जॉन डो बुरी तरह चिढ गया था जिसके बाद उसका अपने दोनों सीनियर्स के साथ मनमुटाव शुरू हो गया था। ज्ञात होकि जॉन डो को सिस्को में इंजीनियर के तौर पर वर्ष 2015 में नौकरी पर रखा गया था। वहीं वर्ष 2016 में जॉन डो ने अपने सीनियर्स पर पहली बार यह आरोप लगाए थे। जिसे कंपनी ने अपनी जाँच में झूठा करार देते हुए नकार दिया था।
आगे जॉन डो ने आरोप लगते हुए कहा कि जॉन डो को कंपनी में निचले स्तर पर रखा जाता था व उसको अन्य लोगो के मुकाबले कम सैलरी व अवसर मिलते थे जिसका वादा जॉब देते वक़्त किया गया था। हालाँकि प्राइवेट कंपनी में सैलरी बढ़ाना व अवसर काबिलियत पर भी निर्भर करते है।
वहीं जॉन डो के आरोपों पर कंपनी की प्रवक्ता रोबिन ब्लम ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कंपनी पुरे जोरो से इस केस को लड़ेगी। आगे रोबिन ने कहा कि “हमारे पास कर्मचारियों की चिंताओं को सुलझाने के लिए एक मजबूत प्रणाली मौजूद है व हमने इसे 2016 में भी सुलझाया था। हम अपनी नीतियों को अच्छे से लागु करने के लिए प्रतिबद्ध है। ”
क्या कहा गया है जॉन डो की तरफ से
जॉन डो के मुताबिक उनके सुपर वाइजर ने कहा था कि तुमने आरक्षण लेकर IIT में एड्मिसन लिया था जिसपर डो ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद डो के साथ काम करने वाले कर्मचारियों को उनसे अलग कर दिया गया था। जिसकी शिकायत जॉन ने एच आर डिपार्टमेंट से करी थी।
एच आर डिपार्टमेंट के मुताबिक आरक्षण वाली बात में कुछ गलत नहीं था
अपनी जाँच में एच आर डिपार्टमेंट ने पाया कि आरक्षण की बात करना कहीं से भी कानूनों के विरुद्ध नहीं था जिसके बाद जॉन डो की शिकायत को निरश्त कर दिया गया था। जिसके कुछ समय बाद जॉन डो ने अपनी सैलरी न बढ़ाने को लेकर फिर से पिछले केस को खुलवाने की गुजारिस करी जिसकी दुबारा जाँच में डिपार्टमेंट ने इसे ज़ात आधारित भेदभाव मानने से मना कर दिया था।
कैलिफ़ोर्निया डिपार्टमेंट में जॉन डो की गुजारिस पर किये गए केस पर सिस्को ने फिर दोहराया है कि कंपनी में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जिसे हम जातीय आधारित भेदभाव कहे व साफ़ किया की वह पुरजोर तरीके से केस का सामना करेंगे ।
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