बेगलुरु – आपको बता दे कि अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को अत्याचार से बचाने और उनके हितों की रक्षा के लिए एससी एसटी एक्ट बनाया गया था, लेकिन आए दिनों देश भर में कहीं न कहीं से एससी एसटी एक्ट के दुरुपयोग की खबरें सुनने को मिल ही जाती हैं।
ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से सामने आया है, जहां बंडेसंद्रा गाँव निवासी शैलेश कुमार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के एक युवक को उसकी जाति के नाम से पुकारने और उसके साथ मारपीट करने पर पुलिस ने उसके खिलाफ एससी एसटी के तहत मुकदमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया था।
जिसके बाद शैलेश कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां हाईकोर्ट में जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति के नाम से पुकारना एससी एसटी एक्ट के तहत तब तक अपराध नहीं हैं। जब तक कि ऐसा अपमान करने के इरादे से किया गया हो।
इतना ही नहीं न्यायधीश जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि सुनवाई के दौरान हुए बयानों और पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में भी जाति का नाम लेकर अपमान करने या अपमानित करने के इरादे का कोई भी वर्णन नहीं हैं। जिसके बाद ऐसी स्थिति में एससी एसटी एक्ट के तहत आगे की कार्रवाई जारी रखना कानून का दुरूपयोग माना जाएगा, हालांकि मारपीट और धमकी का केस आगे भी चलता रहेगा।
जानिए क्या थी घटना?
दरअसल घटना दो साल पहले की है, जहां क्रिकेट मैच के दौरान दोनों टीमों के बीच विवाद हो गया था। जिसके बाद इग्गलुरू गाँव की जयम्मा ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उसका बेटा मनोज और उसका दोस्त प्रदीप एक दुकान के पास बैठकर खाना खा रहे थे, उसी दौरान शैलेश और अन्य बाइक सवार लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.