मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित चंदेरी एक प्राचीन शहर है, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. यह छोटा मगर खूबसूरत नगर राज्य के अशोकनगर जिले के अंतर्गत आता है.
झीलों, पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा यह स्थल पर्यटन के लिहाज से बहुत ही खास है. आज भी चंदेरी में प्राचीनतम और ऐतिहासिक चीजें देखी जा सकती हैं. आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं, चंदेरी के बारे में.
चंदेरी का इतिहास:
मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित चंदेरी एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक नगर है. मालवा और बुन्देलखंड की सीमा पर यह नगर ललितपुर से 37 किलोमीटर दूर स्थित हैं. बेतवा नदी के पास बसा चंदेरी पहाड़ी, झीलों और वनों से घिरा एक शांत नगर है, जहां सुकून से कुछ समय गुजारने के लिए लोग आते हैं. खंगार राजपूतों और मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहां देखी जा सकती है. चन्देरी का किला आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है.
राजपूत राजाओं द्वारा बनवाया गया यह विशाल किला उनकी स्थापत्य कला की जीवंत मिशाल है. किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजा कहा जाता है. यह किला पहाड़ी की एक चोटी पर बना हुआ है। यह पहाड़ी की चोटी नगर से 71 मीटर ऊपर है. इस ऐतिहासिक नगर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है.
चंदेरी शहर पर्यटकों के लिए घूमने वाली जगहों से भरा पड़ा हैं. जिसमें अन्य प्रसिद्ध स्थानों में भीमसेन गुफा (भियादंत), चंदेरी का किला, शहजादी का रोजा, खंडगिरि मंदिर, जामा मस्जिद, बादल महल, कौशक महाल, श्री जगेश्वरी मंदिर, रानी महल, पुरातत्व संग्रहालय (ASI), राजघाट डैम, श्री चौबीसी जैन मंदिर, जौहर स्मारक, आदि प्रमुख हैं.
चंदेरी संग्रहालय (museum)
चंदेरी म्यूजियम एएसआई संग्रहालय का उद्घाटन 14 सितंबर, 2008 किया गया था, वर्तमान में संग्रहालय पांच दीर्घाओं में प्रदर्शित है. इतिहास की चंदेरी नामक पहली गैलरी, नानुआन और अन्य गुफा आश्रयों में पाए गए शैल चित्रों की तस्वीरों के प्रदर्शन के साथ शुरू होती है, जिसमें शुरुआती आदमी के उपकरण और औजार शामिल हैं और बाद की शताब्दियों की मूर्तियों पर चलते हैं.
एक अन्य गैलरी, जिसका शीर्षक जैन गैलरी है, में विभिन्न जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ और अन्य जैन मंदिरों के अवशेष हैं जो थूबन और बुद्धी चंदेरी में पाए जाते हैं. विष्णु गैलरी में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे वराह, वामन, नरसिम्हा आदि के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं. केंद्रीय आंगन के चारों ओर खुली हवा की गैलरी में संस्कृत भाषा में लगभग 10 शिलालेख हैं, लेकिन विभिन्न लिपियों में हैं.
चंदेरी की सुप्रसिद्ध साड़ियां
चन्देरी का पारंम्परिक वस्त्रोद्योग काफ़ी पुराना है. प्राचीन काल से ही राजाश्रय मिलने के कारण इसे राजसी लिबास माना जाता रहा. राजा महाराजा, नवाब, अमीर, जागीरदार व दरबारी चन्देरी के वस्त्र पहन कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते थे.
चंदेरी की विश्व प्रसिद्ध चंदेरी साड़ियाँ आज भी हथकरघे पर बुनी जाती हैं. इन साड़ियों का अपना ही एक समृद्धशाली इतिहास रहा है. पहले ये साड़ियाँ केवल राजघरानों की महिलाएँ ही पहना करती थीं, लेकिन वर्तमान में यह आम लोगों तक भी पहुँच चुकी हैं. एक चन्देरी साड़ी को बनाने में सालभर का वक्त लगता है, इसलिए इसे बाहरी नजर से बचाने के लिए चन्देरी बनाने वाले कारीगर साड़ी बनाते समय हर मीटर पर काजल का टीका लगाते हैं.
फिल्मों का सफ़र
हिन्दी फ़िल्म जगत में भी चंदेरी का नाम काफ़ी प्रसिद्ध है. यहाँ फिल्म जगत के मशहूर अभिनेत्री और अभिनेता चंदेरी आ चुके हैं तथा कई फिल्मों का अभिनय चंदेरी में किया जा चुका है. जिसमें स्त्री, कलंक, और सुई धागा प्रमुख फिल्मों में से हैं.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.