वाराणसी: उत्तर प्रदेश के सारनाथ में भगवान बुद्ध के उपदेश स्थल के पास वैदिक ऋषि-मुनियों की मूर्तियां लगाए जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) द्वारा पुरातात्विक संग्रहालय के सामने इन मूर्तियों को स्थापित किया गया था। जैसे ही यह बात बौद्ध संगठनों को पता चली, उन्होंने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया और बुद्ध पूर्णिमा से पहले विरोध-प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि स्थिति बिगड़ने से पहले ही जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और क्रेन मंगवाकर प्रतिमाओं को हटा दिया। यह पूरा मामला सारनाथ की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को लेकर उपजे असंतोष का प्रतीक बन गया।
बौद्ध महासंघ ने जताया एतराज, चेतावनी के बाद भी नहीं हुई त्वरित कार्रवाई
वैदिक ऋषियों की मूर्तियां लगाए जाने की जानकारी मिलते ही सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ ने विरोध दर्ज कराया। संगठन के अध्यक्ष कवि चित्रप्रभाव त्रिशरण ने बताया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव पुलकित गर्ग को इस संबंध में लिखित प्रार्थना पत्र दिया गया था। संगठन ने साफ कहा था कि अगर बुद्ध पूर्णिमा से पहले मूर्तियों को नहीं हटाया गया तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे। इसके बावजूद प्राधिकरण की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे नाराज होकर महासंघ ने 9 मई को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और तुरंत कार्रवाई की मांग की। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश तो दिया, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी प्रतिमाएं वहीं बनी रहीं।
धरने की तैयारी देखते ही हरकत में आया प्रशासन, क्रेन से हटवाई गईं मूर्तियां
रविवार को जब महासंघ के लगभग 40–50 बौद्ध अनुयायी धरना-प्रदर्शन के लिए पुरातात्विक संग्रहालय के पास जुटने लगे, तभी प्रशासन हरकत में आया। वाराणसी विकास प्राधिकरण ने तुरंत क्रेन मंगवाकर सभी ऋषि-मुनियों की मूर्तियां वहां से हटवा दीं। यह कार्रवाई उस समय हुई जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी और बुद्ध पूर्णिमा से पहले धार्मिक तनाव की स्थिति बन सकती थी। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भंते अशोक मित्र, भंते आनंद, भंते हरिहर, डॉ. हरिश्चंद्र अशोक समेत कई वरिष्ठ बौद्ध अनुयायी मौके पर मौजूद थे।
‘यह बुद्ध भूमि है, यहां वैदिक प्रतीकों की जगह नहीं’: महासंघ अध्यक्ष
बौद्ध महासंघ के अध्यक्ष चित्रप्रभाव त्रिशरण ने साफ शब्दों में कहा कि सारनाथ भगवान बुद्ध की पवित्र भूमि है। यहां सिर्फ बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़ी चीजें ही स्वीकार की जा सकती हैं। उनका कहना था कि अगर भविष्य में भी इस तरह की कोई गतिविधि होगी, तो संगठन विरोध करेगा और सड़क पर उतरने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी प्रतीक या मूर्ति, जो बुद्ध की शिक्षाओं या उनके अनुयायियों से संबंधित नहीं है, उसे इस भूमि पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। संगठन ने प्रशासन को यह चेतावनी दी कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाली जगहों की मर्यादा बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।