शाहजहांपुर: बलात्कार और जबरन वसूली के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को शुक्रवार को एक विशेष सांसद-विधायक अदालत ने बरी कर दिया।
ज्ञात हो स्वामी चिन्मयानंद को सितंबर 2019 में उनके ट्रस्ट द्वारा संचालित शाहजहांपुर लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली एक लॉ स्टूडेंट के साथ बलात्कार के आरोप के बाद गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 सी के तहत मामला दर्ज किया गया था। चिन्मयानंद पर आईपीसी की धारा 376 सी, के अलावा 354 डी, 342 और 506 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।
यह मामला पहली बार तब सामने आया जब महिला 24 अगस्त को लापता हो गई, एक दिन बाद उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें आरोप लगाया गया कि “संत समुदाय के वरिष्ठ नेता” उसका शोषण कर रहे थे और उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे।
चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसके पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पूर्व केंद्रीय मंत्री के वकील द्वारा दावा किया था कि यह उन्हें ब्लैकमेल करने की “साजिश” थी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी, जो तब चिन्मयानंद के ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेज में स्नातकोत्तर की छात्रा थी। लॉ स्टूडेंट पर बाद में चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया था।
अब फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाया। छात्रा ने बयान दिया था कि उसने दबाव में आरोप लगाए थे। वहीं रंगदारी के मामले में अदालत को पर्याप्त सुबूत नहीं मिले। दोनों ही पक्षों के सुबूत न देने के कारण अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।