SDM को थप्पड़ मारने वाले मीणा नेता को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कहा- ऐसे नेता का समाज में स्थान नहीं

जयपुर: समरावता हिंसा मामले में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की जमानत याचिका राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर की अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की कि ऐसे राजनीतिक व्यक्तियों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास न रखने वाले और हिंसा भड़काने वाले नेताओं को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। यह मामला देवली-उनियारा विधानसभा सीट के उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है। मतदान के दिन समरावता गांव में मतदान का बहिष्कार किया गया था, जिसके बाद निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने अपने समर्थकों के साथ धरना दिया। इसी दौरान उन्होंने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। इस घटना के बाद व्यापक हिंसा भड़की, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए और कई सरकारी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।

कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत याचिका?

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चालान पेश होने के बाद आरोपी को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस तरह के अपराधियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए ताकि कानून व्यवस्था मजबूत बनी रहे। पुलिस द्वारा जांच में मिले वीडियो फुटेज से स्पष्ट हुआ कि मीणा ने अपने समर्थकों को उकसाया और हिंसा भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सोशल मीडिया के जरिए भीड़ को उकसाने का कार्य नहीं होता, तो हिंसा की यह घटना नहीं होती।

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें और एएजी का विरोध

याचिकाकर्ता के वकील डॉ. महेश शर्मा ने दलील दी कि गांव के लोग लंबे समय से तहसील मुख्यालय बदलने के लिए आंदोलन कर रहे थे और उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया था। वकील के अनुसार, जब एसडीएम जबरन वोट डलवाने का प्रयास कर रहे थे, तब नरेश मीणा और एसडीएम के बीच धक्का-मुक्की हो गई। बाद में आगजनी और हिंसा में उनका कोई हाथ नहीं था, क्योंकि तब वे पुलिस हिरासत में थे। इस पर एएजी राजेश चौधरी ने विरोध जताते हुए कहा कि नरेश मीणा ने सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थकों को हिंसा के लिए उकसाया था। कोर्ट में प्रस्तुत वीडियो फुटेज से यह साबित हुआ कि उन्हीं के कहने पर समर्थकों ने हिंसा की। इस घटना में 27 पुलिसकर्मी घायल हुए और 42 वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना

देवली-उनियारा विधानसभा सीट के उपचुनाव के दौरान समरावता (टोंक) गांव में मतदान का बहिष्कार किया गया था। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे थे। उन्होंने अधिकारियों पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया और पोलिंग बूथ पर जाकर एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया।

कैसे भड़की हिंसा?

एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद नरेश मीणा वापस धरने पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया, लेकिन जैसे ही उनके समर्थकों को यह सूचना मिली, वे भड़क उठे। सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे और पुलिस से भिड़ गए। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसके बाद हिंसा और बढ़ गई। गुस्साई भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा हाईवे जाम करने और ईवीएम से छेड़छाड़ करने के मामले में भी पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि, इन मामलों में अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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