बिहार में RJD की सरकार आई तो जातियों की आबादी के अनुसार आएंगी नई रिक्तियां- तेजस्वी यादव की घोषणा

पटना (बिहार): दलितों की हत्या पर मुआवजे पर अब राजनीति दांवपेंच शुरू हो गए हैं।

हाल में बिहार की नीतीश कुमार वाली सरकार ने घोषणा की थी कि यदि किसी दलित की हत्या होती है तो उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। इस घोषणा का बिहार की मुख्य विपक्षी दल राजद ने विरोध किया। राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश की इस घोषणा पर पिछड़ों व सवर्णों का वोटबैंक साधने वाला दांव खेल दिया।

तेजस्वी ने एक बयान में कहा कि “चूंकि चुनाव नजदीक हैं, नीतीश कुमार ने बिहार में मारे गए एससी / एसटी व्यक्ति के परिजनों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की।”

आगे उन्होंने कहा कि “जो ओबीसी या सामान्य वर्ग मारे गए हैं उन लोगों के परिजनों को नौकरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए ? यह SC / ST लोगों की हत्या को प्रोत्साहित करने जैसा है।”

राजद नेता तेजस्वी ने प्रदेश में बेरोजगारी के जरिए खाली सरकारी पदों को जातिगत आबादी के आधार पर नौकरी का कार्ड भी खेला। उन्होंने कहा कि “बिहार की बेरोजगारी दर लगभग 46% है, जो भारत में सबसे अधिक है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 4.5 लाख पद रिक्त हैं। यदि मौका दिया जाता है, तो हमारी सरकार सभी रिक्त पदों को भरेगी और जनसंख्या के अनुपात में नई रिक्तियों का निर्माण करेगी।”

2019 लोकसभा में आबादी के अनुसार आरक्षण चला था दांव:

लोकसभा चुनाव 2019 में राजद ने अपने चुनावी घोषणापत्र में आरक्षण और जातिगत आधार पर जनगणना कराने की बात कही थी। इस घोषणापत्र में मंडल कमीशन की रिपोर्ट संबंधी सुझाव को लागू करने, सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण सिस्टम जारी रखने, रिजर्वेशन के 200 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने के साथ ही बहुजन समाज का आरक्षण सुनिश्चित करने का जिक्र किया गया था।तेजस्वी ने कहा था कि हम 2021 में सभी जाति के लोगों की जनगणना कराएंगे।

गौरतलब है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित हुई अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता व मोनिटिरिंग सिमिति की बैठक में सीएम नितीश कुमार के एक फैसले ने सबको चौका दिया।

उन्होंने अधिकारियो को आदेश दिया था कि अगर एससी एसटी समुदाय से किसी की भी हत्या होती है तो उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए तत्काल नियम बनाये जाये। इसके मुताबिक सरकार किसी भी एससी एसटी की हत्या होने पर उसके परिजन को सरकारी नौकरी देगी।

अधिकारियो के मुताबिक यह नियम चुनाव से पहले बनकर प्रभाव में आ जायेंगे। जिससे दलितों व आदिवासियों के परिवार में से अगर किसी की भी हत्या होती है तो उनके एक सदस्य को सरकार नौकरी देगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अधिकारियो से कहा था कि एससी एसटी एक्ट में लंबित सभी मामलो को 20 सितम्बर तक किसी भी हाल में निपटा लिया जाए व जो अधिकारी निष्पादन में गंभीरता न दिखाए उनपर कार्यवाई करे।

एससी एसटी को दी जाएँगी जमीनें:

नौकरी के अलावा सरकार जिन अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगो पर जमीने नहीं है उन्हें जमीन व मुफ्त आवास भी उपलब्ध कराएगी। इस परियोजना को सिर्फ एससी एसटी तक सीमित किया गया है। इसके तहत अलग से बजट भी आवंटित किया गया है।


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