भोपाल- अगले महीने 4 जून को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ब्राह्मण महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से ब्राह्मण आयोग का गठन, एट्रोसिटी एक्ट में सुधार और पुजारियों को मानदेय सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के सभी जिलों से लाखों की संख्या में ब्राह्मण इस महाकुंभ का हिस्सा होगें।
वहीं इस ब्राह्मण महाकुंभ को लेकर समाज के पदाधिकारियों द्वारा लगभग सभी तैयारियों को पूर्ण कर लिया गया है, अध्यक्ष गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि ब्राह्मण महाकुंभ पूरी तरह से गैर राजनैतिक होगा। वहीं राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस महाकुंभ में समाज के जिम्मेदार व्यक्ति के तौर पर शामिल होगें।
सरकार के समक्ष रखीं जाएगी विभिन्न मांगे
आपको बता दे कि ब्राह्मण समाज मध्य प्रदेश के नेतृत्व में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे समस्त ब्राह्मण संगठनों के आव्हान पर 4 जून 2023 को भोपाल में ब्राह्मण महाकुंभ “हुंकार रैली” का आयोजन किया जाना है। जिसमें ब्राह्मण समाज द्वारा ब्राह्मण आयोग का संवैधानिक गठन किया जाए। यह केवल घोषणा तक सीमित ना रहे, इसका तुरंत गठन भी किया जाए और आयोग का अध्यक्ष किसी राजनीतिक व्यक्ति को न बनाया जाए बल्कि समाज से ही अध्यक्ष चुना जाए।
एट्रोसिटी एक्ट को तत्काल रूप से समाप्त किया जाए, क्योंकि इसमें न तो गिरफ्तारी के पूर्व जांच का प्रावधान है और न ही अग्रिम जमानत का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 360 के अंतर्गत अच्छे चाल चलन के लिए भी जेल से शीघ्र छोड़े जाने का प्रावधान नहीं है। साथ ही साथ ब्राह्मण वर्ग को जनसंख्या के आधार पर मध्यप्रदेश में 14% आरक्षण का लाभ दिया जाए, जिसमें वे सारी सुविधाएं प्रदान की जाएं जो sc st एवं पिछड़ा वर्ग के समाज को दी जा रही हैं।
ब्राह्मण वर्ग के छात्र छात्राओं के लिए शासन द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था की जाए तथा उसका नाम परशुराम छात्रावास रखा जाए। जैसा कि अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक पृथक छात्रावासों की व्यवस्था की गई है। वहीं ओबीसी की भांति आठ लाख से नीचे आय वाले निर्धन ब्राह्मणों को भी आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए और 8 लाख से कम आय के विधार्थियो को निःशुल्क सरकारी आवेदन की पात्रता दी जाए।
भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय स्तर पर (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत) सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए। इतना ही नहीं मस्जिद गिरजाघरों और गुरुद्वारे के समान ही भारत के सभी मंदिरों को शासन के नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उनका नियंत्रण मंदिर के संस्थानों को दिया जाए। साथ ही मंदिरों का तुरंत सर्वे करवाकर सभी सार्वजनिक मंदिरों के पुजारियों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाए तथा मंदिरों के चढ़ावे में 50% हिस्सा दिया जाए।
इतना ही नहीं मंदिरों से हुई धर्मस्व की आमदनी की संपूर्ण राशि मंदिरों के जीर्णोद्धार, गुरुकुल तथा गौशाला संचालन हेतु शासकीय अनुदान के रूप में प्रदान की जाए। मंदिर से प्राप्त आय को हिंदू धर्म से पृथक धर्मों के लिए व्यय नहीं किया जाए। अर्थात मद्रास हाई कोर्ट द्वारा 2020 में दिए गए निर्णय के अनुसार मंदिरों से प्राप्त आमदनी को केवल मंदिरों के विकास एवं हिंदू धर्म की लोक कल्याणकारी योजनाओं में ही 100% खर्च की जाए।
सनातन धर्म के कथा वाचक साधु संतों एवं ब्राह्मण समाज के किसी भी व्यक्ति अथवा ब्राह्मण समाज को सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपशब्द बोलने एवं अपमानित किए जाने की दशा में, ऐसा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने का प्रावधान किया जाए। इसके लिए ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट ) बनाया जाए।
महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे की तरह देश पर मर मिटने वाले अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मान दिया जाए एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। इतना ही नहीं ब्राह्मण समाज की विभिन्न सामाजिक, धार्मिक एवं लोक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए 5 एकड़ भूमि आवंटित की जाए।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.