रायबरेली: जिले की एससी एसटी एक्ट कोर्ट ने करीब 28 वर्षो से लंबित एक मामले की सुनवाई करते हुए दो आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। आरोपियों में से एक राम कृपाल सिंह को जिला कारागार से रिहा करने के भी आदेश न्यायलय द्वारा दिए गए। यह घटना गरीबो को न्याय के नाम पर हो रहे शोषण का जीता जागता उदहारण है जहां करीब 28 वर्षो बाद निर्दोषो को न्याय मिल सका।
दरअसल रायबरेली के लाल गंज थानाक्षेत्र निवासी जय शंकर कोरी ने गाँव के ही तीन लोगो के खिलाफ मारपीट, जातिसूचक शब्द व जान से मारने की धमकी के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। प्राप्त FIR के अनुसार जय शंकर कोरी ने 15 जून 1993 को थाने में तहरीर देते हुए राजू, राम कृपाल सिंह व राम सुमेर सिंह के विरुद्ध IPC 323, 504, 506 और एससी एसटी एक्ट में प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस कार्यवाई के बाद मामला कोर्ट में चल रहा था।
इसी बीच आरोपी बनाये गए राम सुमेर सिंह की वर्ष 2017 में मृत्यु हो गई। कोर्ट ने राम सुमेर को मामले से उन्मोचित करते हुए शेष दो अभियुक्तों के खिलाफ अपना परिक्षण जारी रखा।
सभी सबूतों व शामिल किये गए गवाहों के देखते हुए न्यायलय ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहरना न्यायपूर्ण नहीं होगा। साथ ही बहस में उठाये गए कई महत्त्वपूर्ण तथ्यों को भी न्यायलय ने अपने आदेश में शामिल करते हुए दोनों आरोपियों को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। विशेष न्यायधीश अरुण मल्ल ने साथ ही जिला कारागार में बंद राम कृपाल सिंह को भीत अतिशीघ्र रिहा करने का आदेश दिया है।
20 वर्षो बाद विष्णु तिवारी को मिला था न्याय
ऐसे ही एक मामले में न्यायपालिका के लचर प्रदर्शन के कारण ही विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 वर्षो बाद निर्दोष करार दिया था। विष्णु तिवारी को जमीनी विवाद के कारण झूठे दुष्कर्म व एससी एसटी एक्ट के मामले में आरोपी बनाया गया था। जिसे हाई कोर्ट ने अपने परिक्षण में असत्य पाया था।
जिले में एससी एसटी एक्ट के 90 प्रतिशत मामले पाए गए तथ्यहीन
वर्ष 2021 के शुरुआती चार महीनो में दिए गए आदेशों के अनुसार जिले में 90 प्रतिशत मामलो को कोर्ट द्वारा निरस्त करते हुए आरोपी को दोषमुक्त किया गया। कुल 10 ऐसे मामलों में से महज एक भी आरोपी को सजा सुनाई गई।