धारा 370 वापस लाने के प्रस्ताव का कश्मीरी पंडित संगठनों ने किया विरोध, कांग्रेस सहित 6 दलों का है प्रस्ताव

नई दिल्ली: 370 फिर वापस लाने वाले कांग्रेस समर्थित प्रस्ताव का कश्मीरी पंडित संगठन ने विरोध किया है।

विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘इंडिया 4 कश्मीर’ ने सोमवार को गुप्कर घोषणा की सीधे तौर पर निंदा की है। और संगठन ने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने की लड़ाई में समुदाय सबसे आगे था।

गौरतलब है कि यह घोषणा 4 अगस्त, 2019 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुप्कर निवास पर एक सर्वदलीय बैठक के बाद जारी किया गया एक प्रस्ताव है, जिसके एक दिन बाद केंद्र ने अपने एक फ़ैसले में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी।

हालांकि गुपकर इस समय इसलिए भी चर्चा में है कि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 बहाल करने वाले घोषणा को समर्थन कर दिया और इसके लिए संघर्ष की घोषणा कर दी।

संगठन ने भी कश्मीरी पंडित समुदाय के कुछ शरारती तत्वों ’द्वारा गुपकर घोषणा के लिए समर्थन की निंदा की और समर्थन को सिरे से खारिज कर दिया। संगठन ने ये भी कहा कि “कश्मीरी पंडित हमेशा से धारा 370 और 35A के उन्मूलन की लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं।”

कश्मीरी पंडितों के संगठन ने ये प्रतिक्रिया तब दी है जब 27 अगस्त को कश्मीरी पंडित उद्यमियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुप्कर घोषणा को अपना समर्थन दिया।

दिल्ली में संगठन के प्रवक्ता साक्षी मट्टू ने कहा कि भारत 4 कश्मीर ने गुप्कर घोषणापत्र की निंदा की है और कश्मीरी पंडित समुदाय के कुछ शरारती तत्वों के समर्थन की भी निंदा की है।

उन्होंने ये भी कहा कि बैठक के बयान के बारे में शंका पैदा करता है जैसा कि यह तथाकथित प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के एक भी नाम का उल्लेख नहीं करता है जिस प्रतिनिधि मंडल को पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला द्वारा बुलाया गया था।

केंद्र ने पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसने जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा दिया और इसे जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

कर्नल तेज के टिकू, अध्यक्ष अखिल भारतीय कश्मीरी समाज ने अपने बयान में गुप्कर घोषणा की निंदा की। उन्होंने कहा “अनुच्छेद 370 और 35A के उन्मूलन की लड़ाई में कश्मीरी पंडित हमेशा सबसे आगे रहे हैं”।

विपक्षी दलों के साहस को सलाम: प्रस्ताव पर कांग्रेस

हाल ही में कांग्रेस ने गुपकर घोषणा का समर्थन कर फैसले का स्वागत किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आधिकारिक घोषणा कर कहा था कि “मुख्यधारा की छह विपक्षी दलों की एकता और साहस को सलाम, जो कल अनुच्छेद 370 के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आए थे।

उन्होंने कहा था “मैं उनसे अपनी मांग के साथ पूरी तरह से खड़े होने की अपील करता हूं। स्वयंभू राष्ट्रवादियों की तथ्यहीन आलोचना की उपेक्षा करें जो इतिहास को नहीं पढ़ते हैं लेकिन इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करते हैं।”

चिदंबरम ने आगे कहा था कि, “भारत के संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान और शक्ति के असममित वितरण के कई उदाहरण हैं। अगर सरकार विशेष प्रावधानों के खिलाफ है तो फिर नागा मुद्दों को कैसे सुलझाएगी ?”

धारा 370 बहाल करने के प्रस्ताव को 6 दलों ने दिया था समर्थन:

गौरतलब है कि धारा 370 को फिर से राज्य में बहाल करने के लिए जिस घोषणा पत्र को तैयार किया गया है। उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जेकेपीसीसी के जीए मीर, माकपा के एमवाई तारीगामी, जेकेपीसी के सज्जाद गनी लोन, जेकेएएनसी के मुजफ्फर शाह के नाम शामिल हैं।

इन दलों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए राजनीतिक दलों ने बड़ी मुश्किल से बुनियादी स्तर पर बातचीत करने की पहल की है। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। सरकार का पांच अगस्त, 2019 को उठाया गया कदम जम्मू-कश्मीर और सरकार के बीच के रिश्तों को बदलने वाला है।


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