ललितपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर व जौनपुर जिलों पर रिपोर्ट प्रेषित करने के बाद आज हमारी टीम प्रदेश के ललितपुर जिले की तीसरी रिपोर्ट जारी कर रही है। जहां दोनों जिलों में एससी एसटी एक्ट के मामलो पर कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों को हमने साझा किया था। इस रिपोर्ट में हमने 1 जनवरी से 30 अप्रैल 2021 तक के मामलो को आधार बनाया है।
ललितपुर जिले में इस दौरान एससी एसटी एक्ट कोर्ट द्वारा कुल 46 मामलो का निपटारा किया गया था। जिसमे करीब 98 फीसदी मामलो में न्यायालय ने आरोपियों को दोषमुक्त किया। महज एक मामले में दोष सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई।
दलित होने के चलते पानी न भरने देने व जातिसूचक शब्दों का दर्ज कराया था फर्जी मुकदमा, कोर्ट ने मिथ्या तथ्य देने पर दर्ज कराया केस
जिले के थाना नाराहट में दर्ज किये गए एक मामले में लाड़कुंवर अहिरवार ने तहरीर देते हुए वर्ष 2014 में आरोप लगाया था कि गाँव के निकुल यादव, गुड्डी यादव व मेंवार यादव ने उसे कुंए से पानी भरने पर मारा पीटा था। साथी ही उसके मटके को फोड़ते हुए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया था। करीब 7 वर्षो तक चली इस सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि आपसी रंजिश के चलते अभियुक्तों पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए कोर्ट ने मिथ्या तथ्य देने के आरोप में लाड़कुंवर अहिरवार पर मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया।
“साइकिल पर वोट देने को कहा”, जातिसूचक शब्दों व मारपीट में दर्ज कराया था मुकदमा
मुकदमा संख्या 441 / 2012 में ज्ञान सिंह यादव, सुरेश यादव, अमर यादव, पापली यादव को रिहा करते करते हुए झूठा केस दर्ज करने पर कोर्ट ने प्रार्थी ललनजू बसोर पर IPC 344 में मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। ज्ञात होकि प्रार्थी ने एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराते हुए चारो निर्दोषो को आपसी रंजिश में साइकिल पर वोट न देने की बात कहने पर जातिसूचक शब्द व मारपीट का आरोप लगाया था। 8 वर्षो बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।
7 वर्षो बाद मिला न्याय, एससी एसटी एक्ट में जाना पड़ा था जेल
एससी एसटी कोर्ट ने केहर यादव को IPC 452, 354A, 323, 504, 506 , एससी एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं से दोषमुक्त किया। केस संख्या 354 /2014 की सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि आपसी रंजिश में प्रार्थी द्वारा आरोपी पर मुकदमा दर्ज कराया गया था।
8 वर्षो बाद 5 आरोपियों को किया दोषमुक्त, झूठा मुकदमा दर्ज करने पर कोर्ट ने फटकारा
केस संख्या 311 /2013 कि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने त्रिलोक यादव, शोभा राम यादव, वृन्दावन यादव, देश राज यादव व जय हिन्द यादव को दोष मुक्त करते हुए मिथ्या साक्ष्य देने के आरोप में प्रार्थी राजा राम पर केस दर्ज करने का निर्देश दिया है। ग्राम सेरवांस के इस प्रकरण पर प्रार्थी द्वारा मारपीट व जातिसूचक शब्द कहने के आरोप लगाए गए थे।
10 वर्षो बाद आरोपी हुआ रिहा
थाना पूराकलां के अंतर्गत आने वाले एक गाँव के पप्पू धोबी द्वारा विजय यादव पर 21 फ़रवरी 2011 को IPC 354 , 504 , 506 , व एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था। विशेष न्यायधीश जगदीश कुमार द्वारा दिए गए अपने निर्णय में आरोपी को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया।
7 वर्षो बाद हुए दोषमुक्त, जातिसूचक शब्द कह कपड़े फाड़ने का लगाया था आरोप
प्रार्थी कविता वर्मा द्वारा कौशल रजक व शिव प्रताप पर छेड़छाड़ करने, जातिसूचक शब्द व कपड़े फाड़ने का आरोप लगाते हुए प्रकरण दर्ज कराया गया था। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि संदेह के अतिरिक्त आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी। सभी सबूतों व गवाहों को देखते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
98 प्रतिशत मामलो में दोषमुक्त हुए आरोपी, ओबीसी वर्ग पर दर्ज हुए 85 फीसदी मामले
ऐसे कुल 46 मामलो को न्यायलय द्वारा निपटाया गया। कुल मामले में महज 1 मामले में आरोप सिद्ध हो सके। वहीं अधिकतर मामले में कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए प्रार्थी पर मिथ्या साक्ष्य देने के चलते मामला दर्ज करने के निर्देश भी दिए है। एससी एसटी एक्ट के कुल मामले में 85 फीसदी से भी अधिक मामले पिछड़े वर्ग से आने वाले लोगो पर दर्ज किये गए थे। वहीं 98 फीसदी मामलो में आरोपी को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया गया।