महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण के बिना होंगे स्थानीय निकाय चुनाव

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को 2011 के दौरान आयोजित सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) में एकत्रित असम्पूर्ण जनगणना के आंकड़ों को साझा करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के लिए इम्पीरियल डेटा की मांग करने वाली राज्य सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद स्थानीय निकाय चुनावों पर सवाल उठाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में चुनावी प्रक्रिया में दखल देने से इनकार कर दिया है। इसलिए 21 दिसंबर को होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाएंगे।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने केंद्र सरकार के रुख पर ध्यान देते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया कि SECC-2011 पिछड़े वर्गों के डेटा की गणना करने की कवायद नहीं थी, और SECC-2011 के दौरान एकत्र किया गया जाति डेटा सटीक नहीं था और त्रुटियों से भरा था।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं और इसमें कई खामियां हैं।

हालांकि, केंद्र ने दोहराया कि वे स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का समर्थन करते हैं।

भाजपा का राज्य सरकार पर प्रहार

इधर OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। इसी क्रम में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आज राज्य सरकार की ओर से पहले कहा गया कि हम 6 महीने में इंपीरिकल डेटा तैयार करेंगे, फिर कहा गया कि 3 महीने में तैयार करेंगे। फिर 2 साल आपने क्यों नहीं किया? अगर पहले कर लेते तो आज ये परिस्थिति नहीं आती।

बिना OBC आरक्षण के आगामी चुनाव मंजूर नहीं

आगे फणनवीस ने कहा कि अब हमारी मांग है कि 3 महीने में इसे पूरा करिए और उसे नोटिफाई करके OBC आरक्षण के साथ ही आगे के चुनाव कराए। पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि बिना OBC आरक्षण के हम आगे के चुनाव मंजूर नहीं करेंगे।

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