पटना: बिहार में चार बड़े अस्पतालों से जारी हुए डेथ ऑडिट में कोरोना से मृत्यु में खून के थक्के जमने को सबसे बड़ा कारण माना गया है। साथ ही लंग्स इन्फेक्शन को भी बड़े कारणों में शामिल किया गया है। राज्य के पीएमसीएच, एम्स, आइजीआइएमए व एनएमसीएच में हुए डेथ ऑडिट से यह बाते सामने आई है।
प्रशासन के अनुसार दूसरी लहर में पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच और एम्स में चार अप्रैल से 31 मई तक 58 दिनों में कोरोना से 1052 लोगों की मौत हुई है। जिसमे 500 मृतकों का डेथ ऑडिट किया गया है। डेथ ऑडिट में मौत का सबसे बड़ा कारण थ्रोम्बोसिस यानी खून के थक्के जमने को माना गया है। इसी के साथ सबसे अधिक मृत्यु भी युवाओ की हुई है।
आधे से अधिक मरीजों की मौत का कारण रहा ‘थ्रोम्बोसिस’
कुल 500 मृतकों में से 280 लोगो की मौत का कारण थ्रोम्बोसिस रहा है। वहीं इनमे सबसे अधिक युवा वर्ग चपेट में आया है। ऑडिट में बताया गया कि मृतकों के फेफड़ों के साथ ब्रेन और हार्ट में थक्के पाये गये थे जोकि उनकी मौत का कारण बन गया।
150 मरीजों में लंग इन्फेक्शन
खून के थक्को के अलावा करीब 150 मरीजों में लंग इन्फेक्शन भी पाया गया। इन्फेक्शन के कारण इन मरीजों ने महज दो तीन दिन में ही दम तोड़ दिया था। इन मरीजों को निमोनिया, एआरडीएस व हाइपोथायराडिज्म जैसी बीमारियों से भी जूझना पड़ा था।
मृतकों में अधिकतर रहे युवा, बच्चे भी रहे प्रभावित
कोरोना की दूसरी लहर में 1052 मृत कोरोना मरीजों में 650 युवाओ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। वहीं एक मासूम बच्ची को भी अपनी जान गवानी पड़ी। शेष 402 मरीजों की उम्र 60 से 85 वर्ष के बीच थी।