‘ब्राह्मण विरोधी अखिलेश’ हुआ ट्रेंड, एक भी ब्राह्मण को जिलाध्यक्ष न बनाने पर बोले लोग- ‘कहाँ गया ब्राह्मण प्रेम’

लखनऊ (UP): सपा में ब्राह्मणों को पद न देने पर सोशल मीडिया पर लोग पार्टी से बिफ़र उठे।

उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण राजनीति इस समय चर्चा में है जिसको लेकर हर पार्टी अपने आप ब्राह्मण हितैषी बता रही है। इसी मुहिम में यूपी की प्रमुख विपक्षी दल सपा भी शामिल थी। लेकिन सपा की असलियत उस वक्त सामने आ गई जब अखिलेश यादव द्वारा स्वीकृत 18 जिलाध्यक्षों की सूची में एक भी ब्राह्मण को पद नहीं दिया गया।

इसी घटनाक्रम के कारण सोशल मीडिया यूजर्स ने सपा व अखिलेश यादव को ट्रोल करना शुरू कर दिया। सपा के खिलाफ लोगों ने ट्रेंड तक चला डाला। ब्राह्मण विरोधी अखिलेश ट्रेंड में 21 हजार से अधिक लोग प्रतिक्रिया दे चुके हैं।

वहीं इसी बीच उत्तर प्रदेश की भाजपा ने भी अखिलेश यादव की पार्टी पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा कि “अखिलेश यादव ने अपने जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी की, लेकिन पार्टी के किसी भी ब्राह्मण को जिलाध्यक्ष लायक नहीं समझा। क्या यही है आपका ब्राह्मण प्रेम ? आपने हमेशा ब्राह्मणों के प्रति समाज में विद्वेष पैदा किया, कभी ब्राह्मणों के हित में नहीं सोचा। ब्राह्मण विरोधी अखिलेश।”

Trend against Akhilesh Yadav

सपा की इस सूची से बना मुद्दा:

सपा द्वारा इस जारी 18 जिलाध्यक्षों की सूची मे एक भी ब्राम्हण का नाम नहीं हैं बल्कि ज्यादातर सपा के वोटबैंक कहे जाने वाले मुस्लिम यादव पदाधिकारी ही हैं। पहले सूची देखें:

  1. गिरीश यादव
  2. देवेंद्र यादव
  3. योगेश
  4. सैय्यद अहमद
  5. धर्मप्रकाश
  6. लालजी
  7. असगर अली
  8. राजपाल
  9. अशोक चौधरी
  10. श्री वीर 
  11. दीपक ब्रिज
  12. ऋषिपाल
  13. रामनारायण
  14. मनोज यादव
  15. इमरान
  16. संदीप पटेल
  17. सुमेर पाल
  18. अनिल यादव

योगी के मंत्री ने सपा पर उठाए सवाल:

योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताने वाले अखिलेश यादव व उनकी पार्टी सपा को लेकर भाजपा को ये बड़ा मौका हाथोंहाथ मिल गया। योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी ने सपा को घेरते हुए कहा कि “एक महीने से ब्राम्हण-ब्राम्हण और परशुराम-परशुराम खेल रहे प्रबुद्ध लोग समाजवादी पार्टी की इस सूची को गौर से देखें।”

आगे मंत्री ने सपा के इस घोषणा से ब्राह्मणों को राजनीतिक ठगी का शिकार बताया। उन्होंने कहा कि “सपा के ब्राम्हण प्रेम का नशा उतर जाएगा। हिन्दी के साथ उर्दू में भी (ब्राम्हणों की संस्कृत नहीं) छपे लेटर हेड पर जारी इस सूची से ठगा हुआ महसूस कर रहे हों तो आदरणीय पांडे बाबा और प्रोफेसर मिसिर जी को फोन करके कन्फर्म जरूर कर लीजिए।”

हालांकि इसके पहले भी फ़लाना दिखाना की टीम ने सपा में ब्राह्मणों के प्रतिनिधित्व पर रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें बताया था कि सपा के राज्यसभा व लोकसभा में एक भी ब्राह्मण सांसद नहीं हैं।


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