चंदन गुप्ता लिंचिंग मामले में NIA कोर्ट ने 28 आरोपियों को सुनाई उम्रकैद की सजा, तिरंगा यात्रा के दौरान की गई थी हत्या

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुए दंगे में एबीवीपी कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आज, लखनऊ की एनआईए कोर्ट ने इस मामले में 28 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद (आजीवन कारावास) की सजा सुनाई। यह फैसला पांच साल लंबे न्यायिक संघर्ष के बाद आया है और चंदन गुप्ता के परिवार के लिए राहत की खबर लेकर आया है। इस हिंसक घटना ने न सिर्फ कासगंज बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। चंदन गुप्ता की हत्या के बाद दंगों ने भयावह रूप ले लिया था, जिससे शहर में बड़ी हिंसा और संपत्ति का नुकसान हुआ। अब, कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को न्याय मिला है जो वर्षों से न्याय की उम्मीद लगाए हुए थे।

घटना का पूरा विवरण: तिरंगा यात्रा और दंगों की शुरुआत

2018 के गणतंत्र दिवस पर एबीवीपी, विश्व हिंदू परिषद, और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने मिलकर एक तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था। हालांकि, प्रशासन ने इस यात्रा को संवेदनशीलता के मद्देनजर अनुमति नहीं दी थी, लेकिन कार्यकर्ता इस प्रतिबंध को नजरअंदाज करते हुए मुस्लिम बहुल इलाके बडून्नगर की ओर बढ़ने लगे। इस कदम से तनाव बढ़ गया, और दोनों समुदायों के बीच टकराव शुरू हो गया। पहले तो पथराव हुआ, फिर देखते ही देखते हिंसा ने गंभीर रूप ले लिया। इसी दौरान गोलीबारी हुई और एक गोली 22 वर्षीय चंदन गुप्ता को लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। घटना के तुरंत बाद पूरे कासगंज में दंगे भड़क उठे। बड़े पैमाने पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। सड़कों पर बसे जला दी गईं, दुकानों को लूटा गया, और लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए।

एनआईए कोर्ट का फैसला: 28 आरोपियों को सुनाई गई सजा

लंबे मुकदमे और सबूतों के परीक्षण के बाद, एनआईए कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने 28 लोगों को आईपीसी की धारा 147 (बलवा), 148 (हिंसक हथियार के साथ बलवा), 302/149 (सामूहिक हत्या), 307/149 (सामूहिक हत्या की कोशिश), 341 (गलत तरीके से रोकना), 336 (दूसरों की जान खतरे में डालना), 504 (जान-बूझकर अपमान), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी करार दिया। आरोपियों की सूची में अजीजुद्दीन, मुनाजिर, आसिफ, शबाब, साकिब, आमिर रफी, सलीम, वसीम, बबलू, अकरम, तौफीक और मोहसिन जैसे नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ आरोपियों की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी, फिर भी उन्हें दोषी ठहराया गया।

हाईकोर्ट में आरोपियों की याचिका खारिज

सुनवाई के दौरान, आरोपियों ने एनआईए कोर्ट की वैधानिकता और फैसले पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उनकी मांग थी कि इस मामले में एनआईए कोर्ट को सुनवाई का अधिकार नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने आरोपियों की याचिका खारिज कर दी, जिससे एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाने का रास्ता साफ कर दिया। चंदन गुप्ता के माता-पिता, सुशील गुप्ता और सगीता गुप्ता, पिछले पांच वर्षों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। फैसले के बाद, उन्होंने कहा, “आज हमारे बेटे को न्याय मिला है। यह फैसला हमारे लिए शांति लेकर आया है।” चंदन की मां ने सभी दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन उम्रकैद की सजा को भी उन्होंने एक बड़ी जीत बताया।

दंगों के परिणाम: कासगंज में तबाही और प्रशासनिक कार्रवाई

चंदन गुप्ता की मौत के बाद कासगंज में जो दंगे हुए, वे बेहद हिंसक थे। उपद्रवियों ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। बसों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, कई दुकानों को तोड़फोड़ के बाद जला दिया गया, और पूरा शहर कर्फ्यू के साए में रहा। प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया ताकि अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके। भारी पुलिस बल और पीएसी की तैनाती के बावजूद शहर में कई दिनों तक तनावपूर्ण शांति बनी रही। कोर्ट का फैसला आने के बाद, प्रशासन ने कासगंज में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए अतिरिक्त पीएसी और आरएएफ बलों की तैनाती की गई है। प्रशासन शहर में शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सतर्क है।

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