‘धर्म परिवर्तन के बाद दलितों को आरक्षण नहीं’- लोकसभा में BJP सांसद ने रखी मांग

नई दिल्ली: SC/ST दोनों को धर्मांतरण के बाद आरक्षण बंद करने की माँग की गई है।

संसद में चल रहे मानसून सत्र के दौरान धर्मांतरण के बाद दलितों के आरक्षण को बंद करने की माँग उठाई गई है। लोकसभा में झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ये मुद्दा उठाया है।

दुबे ने लोकसभा में कहा कि “झारखंड राज्य में दो बड़ी समस्याएं हैं पहले FCRA बिल पास हुआ है यहांं धर्मांतरण बड़े पैमाने पर होता है। उसका कारण ये है कि संविधान में जो अनुसूचित जाति है यदि वो धर्मांतरण कर लेता है तो उसे आरक्षण नहीं दिया जाता। लेकिन अनुसूचित जनजाति को आरक्षण मिलता है। और ये बड़ी समस्या है। ST को धर्म परिवर्तन के बाद SC की तरह आरक्षण न दिया जाए।”

2019 में भी उठाया था मुद्दा: 

पिछले साल 2019 में शीतकालीन सत्र के दौरान अपने भाषण के दौरान निशिकांत दुबे ने कहा था कि “देश में संविधान में लिखा था किस किसको आरक्षण की सुविधा मिले, एससी एसटी को आरक्षण मिले यह संविधान सभा का खुला मत था। उस आरक्षण में दो भेदभाव हो गए, यदि SC (अनुसूचित जाति) धर्म परिवर्तन कर ले तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा। लेकिन ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए कहा गया था, क्योंकि उनका रहन-सहन संस्कृति आचार व्यवहार अलग है इस कारण से ST को एक कारण दे दिया गया।”
आदिवासियों की आबादी घटी:
आगे दुबे नें आज़ादी के बाद से झारखंड के आदिवासियों के धर्मांतरण की दशा बताते हुए कहा था कि “झारखंड की स्थिति यह है कि जो आजादी के समय 26 से 27% के आसपास आबादी आदिवासी हैं उनमें से उस समय केवल 3% लोग ईसाई थी, धर्मांतरण 3% लोग किए थे। धर्मांतरण करने का भी एक कानून 1947 में बना था जो ये कहता था कि धर्मांतरण हो तो कोई रोक-टोक नहीं है लेकिन डीएम के साथ उसको जानकारी होनी चाहिए। लेकिन आज स्थिति यह है कि उस 26% में से 20% आदिवासी लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने धर्मांतरण कर लिया। धर्मांतरण करने से उनकी पूरी संस्कृति बदल गई, धर्मांतरण करने वाले लोगों को सामाजिक शैक्षणिक और विशेष आर्थिक तौर पर प्रभावित करके धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।”
संविधान सभा में उठा था मुद्दा:
बाद में दुबे नें संविधान सभा का हवाला देकर उक्त गतिविधियों में नए कानून की वक़ालत की थी। उन्होंने कहा था “जब संविधान सभा में बहस हुई तो पूर्वजों ने कहा जब इस तरह की स्थिति होगी तो SC की तरह ST को भी धर्म परिवर्तन के बाद रिजर्वेशन नहीं मिले।”
चर्चा में निष्कर्ष जोड़ते हुए निशिकांत दुबे नें SC-ST दोनों वर्गों को धर्मांतरण करने के बाद आरक्षण की सुविधा बंद करने जैसे नए केंद्र सरकार द्वारा नए संवैधानिक कानूनों को लागू करने की मांग की थी।

Donate to Falana DIkhana: यह न्यूज़ पोर्टल दिल्ली विश्विद्यालय के मीडिया छात्र अपनी ‘पॉकेट मनी’ से चला रहे है। जहां बड़े बड़े विश्विद्यालयों के छात्र वामपंथी विचारधारा के समर्थक बनते जा रहे है तो वही हमारा पोर्टल ‘राष्ट्रवाद’ को सशक्त करता है। वही दिल्ली विश्विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ रहे हमारे युवा एडिटर्स देश में घट रही असामाजिक ताकतों के खिलाफ लेख लिखने से पीछे नहीं हटते बस हमें आशा है तो आपके छोटे से सहयोग की। यदि आप भी हम छात्रों को मजबूती देना चाहते है तो कम से कम 1 रूपए का सहयोग अवश्य करे। सादर धन्यवाद, ‘जयतु भारतम’

                                                        
+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

धारा 370 हटने के बाद हिंदी भी होगी जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा, लोकसभा में बिल पास

Next Story

दलित महिला ने झूठे SC-ST एक्ट व गैंग रेप में 4 निर्दोषो को फसाया, कोर्ट ने महिला पर आजीवन कारावास का मुकदमा चलाने का दिया निर्देश

Latest from Falana Report