नई दिल्ली: जब जब आरक्षण की बात आती है भारतीय समाज दो हिस्सों में बंट जाता है। एक वर्ग आरक्षण को आवश्यक बताकर आरक्षण का समर्थन करता है जबकि दूसरा वर्ग आरक्षण को देश की प्रगति में रुकावट मान आरक्षण का विरोध करता है।
आरक्षण को उचित और अनुचित बनाने वालों के मध्य बहस चलती ही रहती है जो कि सोशल मीडिया पर अक्सर पढ़ी वे देखी जा सकती है।
राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के इस मुद्दे पर अपने अलग-अलग विचार होते हैं। हाल ही में जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि जिस व्यक्ति को एक बार आरक्षण मिल गया हो उस परिवार को दोबारा आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
आरक्षण के संबंध में अब बीजेपी के राज्यसभा सांसद विनय तेंदुलकर ने भी अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि समाज के कमजोर तबके को सशक्त बनाने के लिए कई तरीके हैं जैसे मुक्त शिक्षा मिडडे मील आदि लेकिन इसके लिए बाकी समाज को नीचे खींचना अन्यायपूर्ण है और भविष्य में अधिक समस्याएं पैदा करेगा।
उन्होंने लिखा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि समाज के कुछ वर्ग को सशक्त बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए हमें अवसरों में समानता देनी होगी और परिणाम केवल स्पर्धा पर निर्भर होना चाहिए जो कि उचित है उन्होंने कहा कि आरक्षण देश को कमजोर कर देगा।
कई आरक्षण विरोधियों ने विनय तेंदुलकर का समर्थन किया तो दलित चिंतक दिलीप मंडल तेंदुलकर के विचार से सहमत नहीं थे।
पंजाबी बीजेपी के सोशल मीडिया प्रभारी वरुण पुरी के अनुसार आरक्षण से आप नौकरी तो पा सकते हैं लेकिन प्रतिभा नहीं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का बेहतर माध्यम समझा जाता है इसलिए वहां आरक्षण समर्थक और आरक्षण विरोधियों द्वारा उनके समर्थन व विरोध किया जाता है। कल शाम को ट्विटर पर आरक्षण_जहर_है ट्रेंड कर रहा था इस पर लोगों ने अपने विचार रखें।
किसी ने आरक्षण को प्रतिभा को नष्ट करने वाला बताया किसी ने आरक्षण को आर्थिक आधार पर करने की बात कही तो किसी ने आरक्षण को जात पात को बढ़ावा देने वाला बताया। किसी ने आरक्षण को संवैधानिक असमानता का प्रतीक बताया।
आकांक्षा नामक सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा कि आरक्षण के कारण 80% से 12वीं पास करने के बाद भी उनको कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला।