रीवा (MP) : कांग्रेस के रीवा व मां नर्मदे के संबंध पर PM को झूठा बताना अज्ञानता साबित होती है।
10 जुलाई को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले स्थित सोलर पावर प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने रीवा जिले के प्राचीन पौराणिक इतिहास की प्रशंसा की। उन्होंने अपने बयान में कहा कि “आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है। रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है। अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट का नाम भी जुड़ गया है।”
PM के इस बयान के बाद कांग्रेस ने उन्हें झूठा साबित करने के लिए रीवा जिले का गौरवशाली इतिहास ही तोड़मरोड़ कर पेश किया।
असत्याग्रही! https://t.co/KL4aB5t149
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 11, 2020
कांग्रेस ने PM को असत्याग्रही बताते हुए लिखा कि “मोदी के झूठ में हुई बढ़ोतरी, नर्मदा नदी से रीवा की पहचान बताईं..! सच ये है -1- नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है, 2- अमरकंटक से जबलपुर की ओर प्रवाहित है, 3- नर्मदा रीवा से 388 किलोमीटर दूर है। मोदी जी, धीरे-धीरे सच बोलने की प्रैक्टिस क्यों नहीं करते ? असत्याग्रही मोदी।
मोदी के झूठ में हुई बढ़ोतरी,
— नर्मदा नदी से रीवा की पहचान बताईं..!सच ये है –
1- नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है
2- अमरकंटक से जबलपुर की ओर प्रवाहित है
3- नर्मदा रीवा से 388 किलोमीटर दूर हैमोदी जी,
धीरे-धीरे सच बोलने की प्रैक्टिस क्यों नहीं करते..?#असत्याग्रही_मोदी— MP Congress (@INCMP) July 11, 2020
फ़लाना दिखाना की टीम नें राहुल गांधी व मध्यप्रदेश कांग्रेस की टीम के इन बयानों पर फैक्ट चेक में कुछ और ही पाया। सबसे पहले PM के बयान में स्पष्ट है कि कहीं ये भी ये नहीं लिखा कि नर्मदा नदी रीवा जिले से बहती है जैसा कि MP कांग्रेस ने दावा किया बल्कि PM नें ये लिखा था कि “रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम रही है।”
रीवा की वर्तमान प्रशासनिक जानकारी :
अब आते हैं तथ्यों को जांचने की कड़ी में तो मध्यप्रदेश के रीवा जिले की प्रशासनिक वेबसाइट में ही कांग्रेस के बयान झूठे पाए गए जिसमें रीवा के इतिहास के बारे में लिखा है “विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी की गोद में फैले हुए विंध्य प्रदेश के मध्य भाग में बसा हुआ रीवा शहर जो मधुर गान से मुग्ध तथा बादशाह अकबर के नवरत्न जैसे – तानसेन एवं बीरबल जैसे महान विभूतियों की जन्मस्थली रही है। कलकल करती बीहर एवं बिछिया नदी के आंचल मेें बसा हुआ रीवा शहर बघेल वंश के शासकों की राजधानी के साथ-साथ विंध्य प्रदेश की भी राजधानी रही है। ऐतिहासिक प्रदेश रीवा विश्व जगत में सफेद शेरों की धरती के रूप में भी जाना जाता रहा है। रीवा शहर का नाम रेवा नदी के नाम पर पड़ा जो कि नर्मदा नदी का पौराणिक नाम कहलाता है। पुरातन काल से ही यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है। जो कि कौशाबी, प्रयाग, बनारस, पाटलिपुत्र, इत्यादि को पश्चिमी और दक्षिणी भारत को जोड़ता रहा है। बघेल वंष के पहले अन्य शासकों के शासनकाल जैसे गुप्तकाल कल्चुरि वंश, चन्देल एवं प्रतिहार का भी नाम संजोये है।”
इसके अलावा शासकीय भारतीय गजेटियर में साफ साफ लिखा है भूतपूर्व रीवा रियासत का नाम नर्मदा के दूसरे नाम रेवा से है जोकि मैकल पर्वत श्रेणी के अमरकंटक पठार से निकलती थी और ये वर्तमान शहडोल जिला है।
रीवा जिले का स्वतंत्रता पूर्व इतिहास :
आज का रीवा जिला जिसका नाम नर्मदा नदी के नाम पर पड़ा वो दरअसल मूल रीवा नहीं है क्यों कि ये मध्य भारत में स्थित बघेल साम्राज्य रहा करता था जिसकी राजधानी रीवा थी जोकि आज के रीवा शहर के आसपास हुआ करता था। बागेलखंड (या बघेलखंड) मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित एक क्षेत्र है। इसमें रीवा, अनूपपुर, शहडोल, सतना, सीधी और उमरिया जैसे मध्य प्रदेश के जिले शामिल हैं।
स्कंद पुराण में रीवा (रेवा) व नर्मदा का सम्बंध :
रीवा के इतिहास की और जानकारी के लिए पौराणिक हिन्दू ग्रन्थ स्कंद पुराण में जाएं तो वहां भी नर्मदा नदी के दूसरे नाम रेवा का वर्णन मिलता है। हिन्दू धर्म में सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिंदू धर्मावलंबियो के बीच सबसे प्रतिष्ठित सत्यनारायण व्रतकथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कंदपुराण के रेवाखंड से ही संकलित की गई है।
रेवा भारत की प्रसिद्ध नदी नर्मदा का ही एक नाम है। ‘रेवा’ का शाब्दिक अर्थ ‘उछलने कूदने वाली’ (नदी) है, जो मूलतः इसके पार्वतीय प्रदेश में बहने वाले भाग का नाम है। ‘नर्मदा’ का अर्थ ‘नर्म’ अथवा ‘सुख प्रदायिनी’ है। वास्तव में ‘नर्मदा’ नाम इस नदी के उस भाग का निर्देश करता है, जो मैदान में प्रवाहित है। नर्मदा का नाम रेवा है इसका प्रमाण प्राचीन अमरकोश ग्रंथ का ये संस्कृत श्लोक ‘रेवा तु नर्मदा सोमोद्भवामेकलकन्याका’ । रेवा के अलावा नर्मदा के अन्य नाम ‘सोमोद्भवा’ अर्थात ‘सोम पर्वत से निस्तृत’ और ‘मेकलकन्या’ अर्थात ‘मेकल पर्वत से निकलने वाली’ भी है।
मेघदूत में कालिदास ने रेवा का वर्णन किया:
कालिदास की विश्वप्रसिद्ध रचना मेघदूतम् में भी नर्मदा के दूसरे नाम रेवा का वर्णन उल्लेख किया गया है। मेघदूतम का श्लोक
‘स्थित्वा तस्मिन् वनचरवधूभुक्तकुंजे मुहूर्तम, तोयोत्सर्गाद्द्रुततरगतिस्तत्परं वर्त्मतीर्ण: रेवां द्रक्ष्यस्युपलविषमे विंध्यपादे विशीर्णाम, भक्तिच्छेदैरिव विरचितां भूतिमंगे गजस्य’ जिसमें कालिदास रामटेक को मेघ का प्रस्थानबिंदु मानते हुए मेघ के यात्रा क्रम हैं। उपर्युक्त छन्द में जिस स्थान पर रेवा का वर्णन है, वह वर्तमान होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) के निकट रहा होगा। अमरकोश के उपर्युक्त उद्वरण से तथा मेघदूत के उल्लेखों से ज्ञात होता है कि नर्मदा नदी और रेवा नदी दोनों नाम काफ़ी प्राचीन हैं।
श्रीमद्भागवत में रेवा और नर्मदा दोनों का नाम एक ही स्थान पर उल्लिखित है। इसका समाधान इस तथ्य से हो जाता है कि कहीं-कहीं प्राचीन संस्कृत साहित्य में रेवा इस नदी के पूर्वी अथवा पर्वतीय भाग को और नर्मदा पश्चिमी अथवा मैदानी भाग को कहा गया है। मेघदूत के उपर्युक्त उद्धरण से भी इस बात की पुष्टि होती है। प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी माहिष्मती रेवा के तट पर ही बसी हुई थी, जैसा कि ‘रघुवंश’ से स्पष्ट है।
रीवा जिले में सामान्य लोकाचार में रेवा का वर्णन:
प्राचीन ग्रंथ अमरकोश, मेघदूतम नें ये तो साबित किया कि की नर्मदा का नाम रेवा भी है वहीं रीवा के प्रशासनिक इतिहास व भौगोलिक इतिहास, उपलब्ध लेख से साबित होता है कि रीवा नाम रेवा नदी से पड़ा है। हालांकि कांग्रेस की ये टिप्पणी कि नर्मदा नदी रीवा जिले से 388 किलोमीटर दूर है तो यानि नर्मदा व रीवा का कोई सम्बंध नहीं है पहला तो PM नें ये कहा नहीं कि नदी रीवा में बहती है उन्होंने केवल संबंध बताया था और इसके अलावा आज का रीवा पहले जैसा रीवा भी नहीं जिसका काफी अधिक विस्तार रहा है। रीवा जिले में आज भी रीवा से भोपाल जाने वाली पुरानी ट्रेन सुविधा को रेवांचल एक्सप्रेस नाम है। तो यहां से कांग्रेस की टिप्पणी झूठी साबित हो जाती है कि यदि रेवा यानी नर्मदा का रीवा से कोई संबंध नहीं है तो यहां से जाने वाली ट्रेन का नाम रेवांचल एक्सप्रेस क्यों रखा। वहीं नर्मदा जयंती पर माँ नर्मदे की आरती व गीत गाए जाते हैं
अर्थात फ़लाना दिखाना के रिसर्च लेख के अनुसार कांग्रेस का दावा भ्रामक है व प्रधानमंत्री की बात तथ्यों पर ही आधारित है।
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Why Shivendra Tiwari is writing this piece?
Shivendra Tiwari is a student of journalism at the University of Delhi. Shivendra comes from a very remote village of Riwa situated in Madhya Pradesh. Shivendra’s knowledge about regional and rural politics defines his excellence over the subject. Apart from FD, he writes for ‘Academics 4 Namo’ and ‘Academics for Nation’ to express the clear picture of right-wing in the rural areas. Moreover, Tiwari Ji is from a science background and had scored more than 95% in his intermediate exams!