नई दिल्ली: संसद में सरकार ने बताया है कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में आरक्षण को लेकर उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का यह अभिमत है कि आरक्षण इसका समाधान नहीं है
लोकसभा सांसद अशोक कुमार रावत द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री (रतन लाल कटारिया) उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार, 2006 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निजी क्षेत्र में सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक समन्वय समिति गठित की गई थी। डीपीआईआईटी इस समिति को सचिवालयी सहायता प्रदान करता है।
अभी तक, इस समन्वय समिति की 9 बैठकें आयोजित की गई हैं। समन्वय समिति की पहली बैठक में यह बताया गया था कि सकारात्मक कार्रवाई के मुद्दे पर प्रगति हासिल करने के लिए सबसे बेहतर तरीका उद्योग जगत द्वारा स्वयं स्वैच्छिक कार्रवाई करना है।
आगे उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र में आरक्षण दिए जाने के संबंध में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का यह अभिमत है कि आरक्षण इसका समाधान नहीं है अपितु हम सभी स्तरों पर कमजोर वर्गों विशेष रूप से एससी और एसटी के लिए वर्तमान भर्ती नीति में विस्तार करने में सरकारी तथा उपयुक्त एजेंसियों के साथ भागीदारी करने तया इसके साथ – साथ कौशल विकास तथा प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने के इच्छुक हैं।
तदनुसार, शीर्ष उद्योग संघो नामतः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने अपनी सदस्य कम्पनियों के लिए समावेशन हासिल करने के लिए शिक्षा, नियोज्यता, उद्यमिता और रोजगार के आस – पास केन्द्रित रहने के लिए स्वैच्छिक आचार सहिता तैयार की है।
अंत में उन्होंने कहा कि उद्योग संघो के सदस्यों द्वारा किए गए उपायों में, अन्य बातों के साथ – साथ, छात्रवृत्तियां, अवकाश प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम तथा कोचिंग आदि शामिल हैं। इसके अलावा, समन्वय समिति की 8 वीं बैठक में दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (डीआईसीसीआई) को भी एक हितधारक के रूप में शामिल कर लिया गया है।