सहारनपुर: देश भर में एससी एसटी एक्ट की उपयोगिता को लेकर चल रहे विवाद पर आज हम दूसरी रिपोर्ट लेकर आये है। पहले चरण में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की चरणबद्ध तरीके से रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी। पिछली रिपोर्ट में हमने जौनपुर जिले में वर्ष 2021 के दौरान एससी एसटी एक्ट मामलो पर सुनाये गए कोर्ट के निर्णय को विश्लेषण के साथ प्रेषित किया था। जहां कोर्ट के दिए निर्णयों के मुताबिक करीब 90 प्रतिशत मामलो में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है। वहीं महज 10 प्रतिशत मामलो में ही आरोपियों पर लगाए गए आरोप सत्य साबित हो सके थे।
अगली कड़ी में आज हम सहारनपुर जिले के मामलो पर अपनी रिपोर्ट प्रेषित कर रहे है। हमारी रिसर्च टीम ने 1 जनवरी 2021 से लेकर 30 अप्रैल के दौरान एससी एसटी एक्ट कोर्ट द्वारा सुनाये गए मामलो के निर्णयों को इसमें शामिल किया है। इसलिए रिपोर्ट 100 प्रतिशत कोर्ट के निर्णयों पर आधारित है। सहारनपुर एससी एसटी न्यायलय द्वारा इस अवधि में एससी एसटी एक्ट से जुड़े कुल 12 मामलो को निपटाया गया है। जिनमे 7 वर्ष पुराने मामले भी शामिल है।
7 वर्षो बाद आरोपी को किया दोषमुक्त, झूठा साक्ष्य देने पर पीड़िता पर दर्ज हुआ मुकदमा
एससी एसटी कोर्ट विशेष न्यायधीश विजय कुमार डुंगराकोटी ने 31 मार्च को सुनाये अपने फैसले में 7 वर्षो से गंभीर आरोपों को झेल रहे सुमित त्यागी को दोषमुक्त किया। साथ ही प्रार्थी पर मिथ्या तथ्य देने पर IPC 344 के तहत मुकदमा दर्ज करने का भी निर्देश दिया है। सुमित पर प्रार्थी द्वारा IPC 363 , 366A , 376 , 342 , 506 व एससी एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया गया था।
झूठे दुष्कर्म व एससी एसटी एक्ट के मामले में किया गया दो वर्षो बाद जेल से रिहा
मुकदमा संख्या 441 / 19 की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शौकीन को तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश सुनाया। आरोपी को IPC 323 , 376 व एससी एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं से दोषमुक्त करते हुए न्यायलय ने मिथ्या तथ्य देने के आरोप में पीड़िता पर 344 IPC के मुताबिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश सुनाया है। इसी के साथ पीड़िता को मिली सभी सरकारी आर्थिक सहायता को भी जब्त किया जायेगा।
एससी एसटी एक्ट के मुक़दमे को किया निरस्त
जातिसूचक शब्द कहने व मारपीट के आरोपों में मुकदमा झेल रहे अंकुर शर्मा की अंतिम आख्या को देखते हुए न्यायलय ने थाना कुतुबशेर में चल रहे मुक़दमे को निरस्त करने के आदेश दिए। अंकुर शर्मा को कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी करते हुए पुलिस की विवेचना से संतुष्टि जताई।
ऐसे ही सागर चौधरी के मुकदमा संख्या 432 /20 , नितेश के मुकदमा संख्या 228 / 20 , इंतज़ार व मोहसिन , अशोक राणा के मुकदमा संख्या 77 /21 को न्यायलय द्वारा झूठा पाए जाने पर निरस्त कर दिया गया।
करीब 92 प्रतिशत से अधिक मामले निकले झूठे, महज 1 मामले को पाया सही
ऐसे ही कुल 12 मामलो में अंतिम निर्णय सुनाते हुए 11 मामलो में न्यायलय ने आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए प्रार्थी पर झूठे सबूत देने पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। महज एक मामले को सही पाते हुए विशेष न्यायधीश ने आरोपी को सजा सुनाई।
यह वह मामले थे जिनकी सुनवाई न्यायलय में पूर्ण हो गई थी। आंकड़ों के मुताबिक 92 प्रतिशत से अधिक मामलो को न्यायलय ने गलत पाया व महज एक मामले में ही आरोपी को सजा सुनाई गई।