पत्थरबाजी में सेना के मानवाधिकारों की रक्षा पर सुप्रीम कोर्ट नें सरकार को भेजा नोटिस

नईदिल्ली : भीड़ द्वारा सेना को पत्थरबाजी का सामना करने के ख़िलाफ़ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट नें 3 पार्टियों को नोटिस जारी किया है |

सेना के बच्चों ने दायर की थी सेना के मानवाधिकारों की रक्षा वाली याचिका :

सोमवार को देश की सबसे बड़ी अदालत यानी उच्चतम न्यायालय ने सुरक्षा बलों के मानवाधिकार की सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका पर केन्द्र, जम्मू-कश्मीर सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी कर दिया है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने ड्यूटी के दौरान भीड़ के हमले का सामना करने वाले सुरक्षा बलों के मानवाधिकारों की सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भरी थी और ये याचिका सेना के बच्चों नें ही दायर की थी जिसमें एक वर्तमान में सेना में हैं जबकि दूसरे रिटायर हो चुके हैं।

पहली याचिकाकर्ता 19 साल की प्रीति केदार गोखले है जबकि दूसरी 20 साल की काजल मिश्रा नें दायर की थी |

भीड़ द्वारा सेना को निशाना न बनाया जाए : याचिका की मांग

सेना के दो बच्चों द्वारा डाली गयी इस याचिका में तीन पार्टियों के लिए थीं जिसमें भारत सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व जम्मूकश्मीर  मानवाधिकार आयोग शामिल हैं |

इस याचिका में जम्मूकश्मीर की पूर्व CM महबूबा मुफ़्ती सरकार के उस फैसले को भी बताया गया है जिसमें उन्होंने 9760 पत्थरबाजों पर दर्ज FIR को चुनाव के दौरान वापस ले लिया था |

याचिका में कहा गया है कि ” भीड़ द्वारा सेना को निशाना बनाया जाता है, उनके ऊपर पत्थरबाजी की जाति है और जब उसके जवाब में सेना कार्रवाई करती है तो उस पर उसे कोर्ट मार्शल (सेना का कोर्ट) भुगतना पड़ता है ” | इसमें शोपियाँ की घटना को संदर्भ बताया गया था |

अब इस याचिका में सेना के मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर दो बच्चों नें मुद्दा उठाया था जिस पर अब कोर्ट नें तीनों पार्टियों को नोटिस भेजकर जवाब मागा है |

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