नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने 12 वर्षीय एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के आरोपित व्यक्ति को बरी करने वाली बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला की स्थाई न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के प्रस्ताव को वापस ले लिया है।
पाक्सो कानून के तहत यौन हमले पर जज साहिबा की व्याख्या बना प्रमोशन में रोड़ा
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण(पाक्सो)कानून के तहत यौन हमलो पर उनकी अजीबोगरीब व्याख्या पर बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला की काफी आलोचना हुई थी जो उनकी प्रमोशन में रोड़ा बना।
जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय बच्ची के स्तन को छूने पर आरोपित को किया था बरी
जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय एक बच्ची के स्तन को छूने के आरोपित व्यक्ति को पिछले दिनों बरी कर दिया था और कहा था कि आरोपित ने त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं किया था बल्कि कपड़े के उपर से टच किया था।
इससे पहले भी भी पाक्सो कानून की कर चुकी है अजीबोगरीब व्याख्या
कुछ दिन पहले भी उन्होंने पाक्सो एक्ट में व्यवस्था दी थी कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना पॉक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस दलील के बाद कि इससे खतरनाक नजीर बन जाएगी तो सुप्रीम कोर्ट ने बाद में बांबे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला के आदेश पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी।
कोलेजियम ने जस्टिस पुष्पा के स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति की मंजूरी वापस ली
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने 20 जनवरी को जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी लेकिन इस महीने दो अन्य फैसलों में जस्टिस गनेडीवाला की अजीबोगरीब फैसले के बाद उनके प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही जस्टिस एनवी रमना और आरएफ नरीमन ने ने रोक लगा दी।
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