चेन्नई: तमिलनाडु सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के तहत लगभग 36,000 मंदिरों में, पुजारियों (अर्चकों और भट्टाचार्यों) और अन्य श्रमिकों को नियमित मासिक वेतन नहीं मिलता है। लेकिन जो कार्यकर्ता और पुजारी आजीविका के लिए भक्तों की मंदिर यात्रा और उनके योगदान पर निर्भर हैं, उन्हें महामारी के कारण लॉकडाउन के मद्देनजर कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। इसी कठनाई को समझते हुए तमिलनाडु सरकार ऐसे पुजारियों के लिए सहायता लेकर आगे आई है।
तमिलनाडु सरकार के मानव संसाधन और सीई मंत्री पीके सेकर बाबू ने एक बयान में कहा कि ऐसे ही मंदिरों के पुजारियों और कार्यकर्ताओं की आजीविका के लिए सरकार द्वारा उन्हें राहत प्रदान करना समय की आवश्यकता है।
साथ ही मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंदिर के कार्यकर्ताओं और पुजारियों से वित्तीय सहायता मांगने के प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद 4,000 रुपये एकमुश्त राहत सहायता, 10 किलो चावल और 15 किराने का सामान देने का आदेश दिया है।
तमिलनाडु सरकार के इस फैसले से राज्य के 14,000 पुजारियों और मंदिर कार्यकर्ताओं को 4,000 रुपये की COVID-19 राहत सहायता और दस किलो चावल सहित आवश्यक वस्तुओं का लाभ मिलेगा ।
मंत्री पीके सेकर बाबू ने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की जयंती 3 जून के अवसर पर की जाएगी। जिससे पुजारियों सहित लगभग 14,000 कार्यकर्ता लाभान्वित होंगे। आपको बता दे कि तमिलनाडु में 10 मई से लॉकडाउन लगा दिया गया था, और प्रतिबंध लागू होने से पहले ही पिछले महीने मंदिरों को सार्वजनिक पूजा के लिए बंद कर दिया गया था ताकि कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सके।
कोरोना में अन्य राज्यों से आ चुकी ऐसी मांग
देश भर में धार्मिक स्थल बंद होने के कारण पूजा पाठ व कर्मकांड कर अपनी जीविका चलाने वाले पंडितो के लिए संकट खड़ा हो गया है। दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर को देखते हुए आने वाले कुछ महीनो में भी धार्मिक कार्यो पर रोक का अंदेशा जताया जा चूका है। ऐसे में देश भर के सभी पंडितो को राज्य सरकार द्वारा वित्तय मदद व मुफ्त राशन की दरकार है।
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