सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सार्वजनिक रूप से जातिसूचक टिप्पणी न होने पर SC-ST एक्ट नहीं लगेगा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि यदि जातिसूचक टिप्पणी या आपत्तिजनक बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दिया गया है, तो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराएँ स्वतः लागू नहीं होंगी। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस आधार पर दीपक कुमार तला को अग्रिम जमानत प्रदान की। उन्होंने उच्च न्यायालय के 18 नवंबर 2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा 24 अगस्त 2024 को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को बरकरार रखा गया था।

सार्वजनिक रूप से टिप्पणी न होने पर SC/ST एक्ट लागू नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर की प्रारंभिक जांच के बाद कहा कि इसमें केवल एक कथित जातिसूचक अपमान का उल्लेख है, लेकिन यह आरोप नहीं है कि यह टिप्पणी आम जनता की उपस्थिति में दी गई थी। न्यायालय ने शाजन स्करिया बनाम केरल राज्य (2024) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि SC/ST एक्ट की धारा 2(1)(r) और 2(1)(s) के तहत अपराध तभी बनता है, जब जातिसूचक टिप्पणी “सार्वजनिक दृष्टि” में की गई हो। इस मामले में ऐसा कोई स्पष्ट आरोप नहीं है, इसलिए प्रथम दृष्टया यह अपराध नहीं बनता। अदालत ने यह भी कहा कि अभियुक्त पर अपहरण और आपराधिक धमकी के जो आरोप लगाए गए हैं, वे केवल अनुमान के आधार पर लगाए गए हैं और इनका निर्धारण मुकदमे के दौरान किया जाएगा।

क्या है मामला?

शिकायतकर्ता के अनुसार, वह और अभियुक्त 2012 से मंदिर के कार्यों से जुड़े थे और दोनों ने मिलकर मंदिर के विकास के लिए एक ट्रस्ट भी बनाया। लेकिन 2017 में उनके बीच विवाद शुरू हो गया, जिसके बाद मंदिर की संपत्तियों और धन को लेकर कई दीवानी मुकदमे दायर किए गए। 18 अप्रैल 2024 को, शिकायतकर्ता का अपहरण कर विभिन्न स्थानों पर बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। 29 अप्रैल 2024 को, कुछ आरोपियों ने उसे एक पेट्रोल पंप पर ले जाकर धमकी दी कि यदि उसने मंदिर की ज़मीन अभियुक्त के नाम स्थानांतरित नहीं की, तो उसे जान से मार दिया जाएगा। जब उसने इनकार किया, तो आरोपियों ने उसे मारा-पीटा और छोटे चाकू दिखाकर डराने की कोशिश की। डर के कारण, शिकायतकर्ता ज़मीन हस्तांतरित करने के लिए सहमत हो गया। इसी बीच पुलिस ने कार्रवाई कर शिकायतकर्ता को बचाया और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में आईपीसी की धारा 364, 511, 307, 343, 419, 506, 120B, और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई, साथ ही SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(r), 3(1)(s), और 3(2)(va) भी लगाई गई।

+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

धीरेंद्र शास्त्री बोले – औरंगजेब कभी महान नहीं हो सकता, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे, ब्रज से दिल्ली तक पदयात्रा

Next Story

दरभंगा में ब्राह्मण बच्ची से गैंगरेप: 10 आरोपियों ने लहूलुहान कर फेंका, SC-ST केस की धमकी, बनाई वीडियो

Latest from राहत

छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष के बेटे को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, दुष्कर्म और एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज FIR की रद्द

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के बेटे पलाश चंदेल…